Railway Station के वेटिंग रूम में महिला कुली शादी में बाईक पर बैठकर पहुंची दुल्हन

 

जिसके पिता भी स्टेशन पर कुली का ही काम करते थे। पिता के बीमार होने के बाद हालात और ज्यादा खराब हो गए। पिता की मौत के बाद कुछ समय बाद मां भी चल बसी थी। ऐसे में दुर्गा के सामने बड़ी मुसीबत उस समय खड़ी हो गई जब उनकी बडी बहन की मौत भी हो गई। और बहन की एकमात्र बेटी की जिम्मेदारी भी दुर्गा पर आ गई। दुर्गा ने अपने पिता के ही काम को अपना हथियार बनाया और शुरू कर दी जिंदगी की जंग। पिछले 13 सालों में जिंदगी की जद्दोजहद में मशरूफ दुर्गा ने कभी अपने जीवन साथी के विषय मे नहीं सोचा। ऐसे में आरपीएफ की महिला कर्मचारी ने इसकी पहल की और वो दिन भी आ गया जब दुर्गा भी अपने जीवन साथी के साथ अपना जीवन जी सकेगी। खास बात ये है कि स्टेशन के पास ही रेलवे के कार्मिक भवन में दुर्गा की शादी धूम धाम से की गई जिसमें सांसद दुर्गा दास उइके और विधायक बैतूल हेमन्त खण्डेलवाल ने भी आर्थिक मदद कर उसे आशीर्वाद दिया।

18 वर्ष की उम्र में पिता की जगह संभाली जिम्मेदारी

 

 

Railway Station के वेटिंग रूम में महिला कुली शादी में बाईक पर बैठकर पहुंची दुल्हन

इकलौती महिला कुली की शादी बाइक पर बैठकर पहुंची दुल्हन

रेलवे का वेटिंग हाल और नजारा विवाह रस्म का देखने और सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन यह नजारा है। मध्य प्रदेश के बैतूल रेलवे स्टेशन का जहां पिछले 10 वर्षों से कुली का काम कर रही दुर्गा की शादी की रस्म निभाई जा रही है। और इसका साक्षी रहा पूरा रेलवे स्टाफ और समाज सेवी, सामाजिक बन्धु। बेसहारा दुर्गा की शादी का बीड़ा इन्होंने ही उठाया और आज वह क्षण भी आ गया जब दुर्गा के हाथ पीले करने के लिए शादी कि रस्म निभाई गई और आज दुर्गा की शादी भी हो जाएगी। दरअसल दुर्गा हालातो से मजबूर वो शख्सियत है


दरअसल दुर्गा की कहानी कुछ ऐसी है कि अपने परिवार को संभालने के लिए जी तोड़ मेहनत करने वाली दुर्गा के लिए सहानूभूति की एक नहीं बल्कि कई हाथ एकसाथ खड़े हो गए। किसी समय बैतूल रेलवे स्टेशन पर मुन्ना बोरवार नामक कुली काम करते थे। उन पर तीन जवान बेटियों के पालन पोषण की जिम्मेदारी थी। लेकिन एक दिन एक दिन मुन्ना के पैरों ने जवाब दे दिया और वे काम करने काबिल नहीं रहे। ऐसे में परिवार के समाने गृहस्थी कौन चलाए यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया था। 18 साल की जवान बेटी दुर्गा ने पिता की जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया। पिता के कुली का बिल्ला अपने नाम करने के लिए उसने प्रयास शुरू किया। लगातार 2 वर्ष चक्कर लगाने के बावजूद उसे बिल्ला नहीं मिल पाया। आखिर बैतूल में रेल संघों से जुड़े पदाधिकारी अशोक कटारे और वीके पालीवाल के प्रयास से दुर्गा को जिम्मेदारी मिल गई और वह बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली के तौर पर काम करने लगी। साल 2013 से दुर्गा बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली का काम कर रही है।

 

बाईक पर सवार होकर पहुंची दुर्गा
गुरूवार दुर्गा के विवाह की सभी रस्म रेलवे विभाग के ही कार्मिक भवन में आयोजित की गई। जहां बाईक पर सवार होकर जहां दुर्गा विवाह स्थल पर पहुंची तो दुल्हा भी पूरे रस्मों रिवाज के साथ बारात लेकर विवाह स्थल पर पहुंचा। इस दौरान कार्यक्रम में सांसद डीडी उईके एवं बैतूल विधायक हेमंत खण्डेलवाल सहित समस्त रेलवे स्टॉफ और समाजसेवी भी उपस्थित हुए। जिन्होंने वर और वधू को शुभ आशीर्वाद प्रदान कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

 

आरपीएफकर्मी फराह खान सबसे बड़ी हमदर्द
दुर्गा सुबह से शाम तक रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करती रहती थी। इसी बीच उसकी दोस्ती आरपीएफ थाने में पदस्थ आरक्षक फराह खान से हो गई। फराह खान उसके जीवन को लेकर अक्सर सोचती रहती थी। फराह ने ही एक अन्य साथी सिपाही देशमुख से दुर्गा के रिश्ते की बात चलाने को कहा। देशमुख ने उसके लिए बैतूल से 35 किमी दूर गांव आठनेर में एक लडक़े की तलाश की और उससे बातचीत शुरू की। लडक़े ने भी शादी के लिए हां कर दी और आखिर दुर्गा का रिश्ता तय हो गया। आखिर गुरूवार दुर्गा विवाह सूत्र में बंध गई।

 


By - sagar tv news
29-Feb-2024

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