23 साल की शिवानी ने रचाया लड्डू गोपाल से विवाह,मेहंदी रचा पिया के घर वृंदावन रवाना,कैसे जुड़ा बंधन?

 

कहते हैं जो वंशीवाले के रंग में रंग जाता है उसे कोई दूसरा रंग नहीं भाता। ग्वालियर की युवा भक्त शिवानी पर भी कृष्ण भक्ति ने ऐसा ही जादू भरा रंग डाल दिया है। अब उसे अपने सांवरिया के सिवाय कोई और नजर ही नहीं आता। इसलिए ग्वालियर की मीरा शिवानी परिहार ने लड्डू गोपाल से विवाह रचाकर खुद को उनकी दासी बना लिया है। जी हां शिवानी ने बाकायदा हाथों में अपने पति गोपाल के नाम की मेहंदी रचाई। हल्दी लगी, मंडप के नीचे मंगलगीत हुए। सात फेरों में मंगलसूत्र और मांग भराई की रस्म हुई। वृंदावन से आए लड्डू की बारात भी धूमधाम से निकली। साधु, संत, संन्यासी और कृष्ण भक्त बाराती बने। दुल्हन शिवानी उन्हीं के साथ माता—पिता से विदा लेकर पिया के घर ससुराल चली गई।

 

 

यह कोई धर्मग्रंथ की कथा नहीं है बल्कि ग्वालियर की 23 वर्षीय शिवानी परिहार की भक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण है। शिवानी ने सनातन रीति से लड्डू गोपाल की पीतल की मूर्ति से विवाह रचाया है। वृंदावन से पुजारी बाल रूपी मूर्ति को दूल्हे की तरह सजाकर ग्वालियर पहुंचे थे। कैंसर पहाड़ी पर बने शिव मंदिर में शिवानी का भगवान के साथ विवाह संपन्न हुआ। वृंदावन और ग्वालियर के पंडितों ने साथ मिलकर विवाह की रस्में करवाईं। ग्वालियर के दामाद लड्डू गोपाल को द्वारचार कराया। सात फेरे और कन्यादान भी हुआ। फेरों के वक्त वृंदावन से आए पंडितों ने भगवान कृष्ण की वंशावली सुनाई। शिवानी और लड्डू गोपाल के पाणिग्रहण का प्रमाणपत्र भी जारी किया गया।

 

कार्यक्रम का आयोजन जनचेतना एवं जन कल्याण संस्था की ओर से कराया गया। शादी का सर्टिफिकेट भी दिया। भोज भी हुआ जिसमें सब्जी, पूड़ी, रायता, गुलाब जामुन और बर्फी बनवाई गई थी। वृंदावन से भगवान लड्डू गोपाल की बारात लेकर ग्वालियर आए पंडित चरणदास ने बताया कि विवाह पूरे सांस्कृतिक तरीके से कराया गया है। शिवानी पहले वृंदावन आश्रम में पहुंची थीं जहां उन्होंने गुरुजी के सामने भगवान से शादी की बात कही थी। इसके बाद उन्होंने विवाह की मंजूरी थी। शिवानी ने लड्डू गोपाल को हाथ लगाकर मांग में सिंदूर भरा और सदा के लिए उन्हीं की हो गईं। शिवानी ने कॉलेज में बीकॉम तक पढ़ाई की है।

 

 

पढ़ाई के दौरान ही वह मीरा की तरह भगवान के भजन गुनगुनाने लगी थीं। शिवानी ने बताया कि उन्होंने 7 साल पहले ही यह संकल्प ले लिया था कि वे शादी भगवान लड्‌डू गोपाल से ही करेंगी। जब मैंने भगवान लड्डू गोपाल के साथ विवाह करने का संकल्प लिया तो मेरी बहन और रिश्तेदार लोकलाज के भय से डर गए थे। सभी मुझसे नाराज हो गए थे। लेकिन वे भी लड्डू गोपाल के आगे पिघल गए। घर में नाच-गाना और मंगलगीत गाए गए। मैं कहती थी कि ऐसे वर को क्या वरुं, जो जन लेकर मर जाए, क्यों न अपने सांवरे को वरुं, जिससे मेरा जोड़ा अमर हो जाए। आज मैं सामाजिक मान्यताओं का पालन करते हुए श्याम सुंदर की दासी बन गई हूं।

 

 

उनके चरणों में रहकर भक्ति के साथ जीवन बिताऊंगी। शिवानी के पिता राम प्रताप परिहार सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं। यह संयोग की बात है कि शिवानी का मां का नाम मीरा है। मीरा परिहार गृहिणी हैं। दो बेटियां है। उन्होंने बताया पहले हम तैयार नहीं थे, लेकिन बेटी की भक्ति देखकर तैयार हो गए। उसने यह भी कह दिया था कि अगर लड्डू गोपाल से विवाह नहीं करोगे तो मैं घर से दूर चली जाउंगी।

 

 

गुरुवार को शिवानी वृंदावन के लिए विदा हो गईं। उन्होंने बताया 4-5 दिन बाद दूसरी विदाई होगी। इसके एक महीने बाद फिर वृंदावन जाऊंगी। वहां 4-5 साल रहकर अध्ययन करूंगी। भागवत और शिव पुराण पढ़ूंगी। मैं शिव जी को भी बहुत मानती हूं। शिवानी ने फिलहाल 16वीं सदी की परम भक्त मीरा की राह पर चलकर खुद को जगत के पालनहारा के चरणों में समर्पित कर दिया है। अब उनकी भक्ति आगे क्या रंग दिखाएगी यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

 

 


By - sagartvnews
19-Apr-2024

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