भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि के लिए तिलक लगाती हैं. कहते हैं कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन जो बहन अपने भाई के माथे पर कुमकुम का तिलक लगाती हैं उनके भाई को सभी सुखों की प्राप्ति होती है.गोवर्धन पूजा के ठीक अगले दिन भाई दूज मनाया जाता है। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन की तरह की भाईदूज का त्योहार भी विशेष महत्व होता है। भाईदूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाईदूज का त्योहार दिवाली के दो दिन बाद आता है। भाईदूज के दिन बहनें भाइयों का तिलक करके लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं।कई ऐसी पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं, जिन्हें भाईदूज की शुरुआत का कारण मानते हैं। जिनमें से एक भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है। एक पौराणिक कथा के मुताबिक जब वह राक्षस नरकासुर को मारने के बाद घर लौटे तो उनका स्वागत उनकी बहन (सुभद्रा) ने फूल, फल और मिठाई से किया।
सुभद्रा ने दीया जलाकर और भगवान श्रीकृष्ण के माथे पर तिलक लगाकर एक हजार से ज्यादा सालों तक भाई के जीवित रहने की कामना की। कहते हैं कि इसके बाद ही भाईदूज मनाने की परपंरा बन गई। सोमवार को बहिनो ने अपने भाइयो को तिलक लगाकर बड़े ही उत्साह के साथ भाई दोज का पर्व मनाया
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