सागर विवि में प्रशासनिक अधिकारियों ने एक दूसरे को दी PHD की अनुमति,राष्ट्रपति से की शिकायत || UTD |


 

 

एमपी के सागर की सर डॉ. हरि सिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय में दस माह से कुलपति का पद खाली है । इस समय में प्रभारी कुलपति से लेकर प्रशासनिक अधिकारी अपनी मनमर्जी से विश्वविद्यालय का संचालन कर रहे हैं । इसका खुलासा सीबीआई के विसल ब्लोअर डॉ अनिल पुरोहित द्वारा लगाईं गई आरटीआई के जबाब में यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदान किय गए दस्तावेजों से हुआ है। जिसमें प्रभारी कुलसचिव ने उपकुल सचिव को पीएच-डी करने की अनुमति दी और इसी तरह उप कुलसचिव ने प्रभारी कुल सचिव को पीएचडी करने की अनुमति दी । विश्वविद्यालय की शोध कार्य को लेकर वैसे भी छवि बेहतर नहीं है । इसके बावजूद छवि सुधारने की बजाय प्रशासनिक अधिकारी खुद पीएचडी करने में लगे हैं । प्रशासनिक अधिकारियों की इस मनमर्जी पर लगाम लगाने के लिए अनिल पुरोहित ने राष्ट्रपति को लिखित शिकायत प्रेषित की है । सर डॉ हरि सिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रभारी कुलपति प्रो .जेडी आही, प्रभारी कुलसचिव संतोष सहगौरा और उपकुल सचिव सतीश कुमार द्वारा मनमाने ढंग से विश्व विद्यालय संचालित किया जा रहा है । जिससे प्रशासनिक स्वच्छ चारिता चरम पर है । वही सेवा में रहते हुय प्रशासनिक अधिकारियों को पीचडी करने का या अध्ययन अवकाश प्राप्त करने का कोई प्रावधान नही है यह व्यवस्था विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा शैक्षणिक संकाय को ही कार्य परिषद की अनुमति के बाद प्रदान की जाती है ।राजपत्र का गजट नोटिफिकेशन 18 जुलाई 2018 में प्रकाशित नियम का उल्लंघन है । और प्रभारी कुलसचिव या प्रभारी कुलपति को ऐसा कोई अधिकार भी नही है । शिकायत कर्ता अनिल पुरोहित ने दोनों पीएच डी निरस्त करने की मांग की है । विश्व विद्यालय के उपकुल सचिव सतीश कुमार ने संयुक्त कुल सचिव संतोष शोहगौरा को भोपाल की रवींद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय से पीएचडी की अनुमति जिन शर्तो पर दी है वह भी बड़ी रोचक है पहली शर्त है शोध कार्य के लिये पृथक से अवकाश की पात्रता नही होगी ।दूसरी शर्त मूल दायित्व प्रशसनिक कार्य प्रभावित नही होना चाहिए तीसरी शर्त समय समय पर पीएचडी कार्य का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करना होगा आखरी शर्त विश्वविद्यालय प्रशासनिक दायित्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने पर अनुमति निरस्त करने पर विचार किया जाएगाजबकि पीएचडी पूर्णकालिक शोध कार्य है तब वह बगैर अवकाश और प्रशासन दायित्व प्रभावित हुए बगैर कैसे संभव हो पाएगा ?इसको लेकर जब विश्व विद्यालय के मीडिया प्रभारी प्रो दिवाकर सिंह राजपूत से बात की उनका है कि वह इस संबंध में कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है लेकिन पीएचडी को लकेर कहा की वह रेगुलर मोड़ में होता है और अगर कोई प्रशासनिक अधिकारी पीएचडी करता है तो उसे अवकाश लेना जरुरी है।


By - anuj Goutam (City,Sagar MP)

06-Feb-2021

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