दमोह जिले के हटा सिविल अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा दिया गया है। लेकिन व्यवस्था आज भी बदहाल है। मुख्यमंत्री की योजना थी कि सोलर सिस्टम से हर अस्पताल को रोशन किया जाए इसी को लेकर दिसंबर 2016 में हटा सिविल अस्पताल को 24 घंटे रोशनी के लिए सोलर सिस्टम भेजा गया था। लेकिन वो आज कबाड़ में तब्दील हो चुका है। जबकि इस पर करीब 50 लाख रुपये खर्च हुए हैं। सरकार का उद्देश्य था कि जनरेटर से बिजली बंद हो और राजस्व बचाया जा सके। सोलर प्लेट और मशीनें इंदौर की प्रगत अक्षय ऊर्जा लिमिटेड कंपनी की उदासीनता के कारण एक कमरे में रखे-रखे ही कबाड़ में बदल गया है। फ़िलहाल यहाँ जनरेटर से ही बिजली सप्लाई हो रही है।
जानकारी के मुताबिक पूर्व विधायक उमा देवी खटीक के कार्यकाल में 50 लाख रुपए की लागत से सौर ऊर्जा सिस्टम स्वीकृत हुआ था। कंपनी ने सिस्टम को अस्पताल में फिट किए बगैर बिल लगा दिए थे। जिससे ऊर्जा विभाग सागर ने प्रगत अक्षय कंपनी का टेंडर निरस्त कर दिया। और मरीजों को 24 घंटे बिजली का लाभ मिलते मिलते रह गया। जिस वजह से ऊर्जा सिस्टम स्थापित नहीं हो सका।
हर महीने करीब 10 से 15 हजार रुपए का बिजली बिल आता है। लेकिन गर्मियों के दिनों में यही बिल बढ़कर 40 से 50 हजार रुपए हो जाता है। सुनिए बीएमओ का क्या कहना है।--
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