इन दिनों रायसेन में टमाटर से सड़कें और पानी की नहरें लाल हो रही हैं। दाम न मिलने पर किसान टमाटर फेंकने को मजबूर हैं। इस बार बीज, दवाईयाें और अन्य खर्चा तक निकालना मुश्किल हो गया है। उत्तर और दक्षिण भारत में रायसेन से टमाटर जाता था। लेकिन बारिश में ज्यादा रेट होने से वहाँ के किसानों ने इस बार टमाटर की ज्यादा खेती की, इस कारण कम व्यापारी रायसेन टमाटर की खरीददारी करने आ रहे है। जिससे यहां के किसानो को नुकसान झेलना पड़ रहा है। बता दें की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत रायसेन टमाटर जिला घोषित किया गया है।
रायसेन के बाड़ी छेत्र में टमाटर बंपर पैदावार के कारण रेट सही न मिलने से किसान अब टमाटर सड़क किनारे फेंकने को मजबूर हैं। टमाटर खेतों में सड़कर खराब होने लगा है। टमाटर के दामों में आई गिरावट से किसानों को 22 किलोग्राम के एक क्रेट के अब 40 रुपये मिल रहे हैं। इसके बावजूद भी टमाटर के खरीददार नहीं मिल रहे। मंडी में टमाटर बेचने से किसानों को उल्टे घाटे का सामना करना पड़ रहा है। जिससे डीजल, गाड़ी और मजदूरी के पैसे नहीं निकलने पर टमाटर खेत के आस पास ही सड़क नाली मेहड़ो पर फेंकने को मजबूर है। साथ ही टमाटर के पौधे उखाड़ने भी शुरू कर दिए हैं।
किसान अकरम की मानें तो 15 एकड़ में टमाटर की खेती की, 4 लाख की किराए से जमीन ली उसने 6 से 7 लाख का नुकसान होने बताया है।
तो सुरेंद्र कुमार तिवारी का भी कुछ यही कहना है।
उत्तर दक्षिण भारत के व्यापारी आने से यहां के किसानों को अच्छा रेट मिलने लगा था। जिसके चलते लोगो ने एक दूसरे की खेती देखकर टमाटर की खेती चालू कर दी। जिससे किसानों को ये परेशानी हो रही है।--
सागर टीवी न्यूज़ से सबसे पहले न्यूज़ लेने के लिए अभी अपना ईमेल डालें और सब्सक्राइब करें
Sagar TV News.