प्रदेश में न्याय व्यवस्था कितनी ढीली है इस बात की बानगी देखने मिली एमपी के बैतूल में जहाँ एक पीड़ित आदिवासी महिला न्याय के लिए 6 महीने से भटक रही है। और जब न्याय नहीं मिला तो उसे मजबूरन आदिवासी समाज की पारंपरिक ग्राम सभा की शरण में जाना पड़ा। सभा मे पीड़िता को सुनने के बाद प्रस्ताव लेकर पुलिस को दोषी ठहराते हुए कलेक्टर को आदेश दिया है कि पीड़ित महिला को मुआवजे के रूप में 25 लाख रुपए दिए जाएं। बैतूल के चिचोली थाना क्षेत्र के सेहरा गांव का ये अनोखा मामला है। जिसमें कलेक्टर बैतूल अपना पक्ष रखने सामने नहीं आ रहे हैं। हालांकि मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री कमल पटेल ने कहा कि इस तरह कोई ग्रामसभा आदेश नहीं दे सकती है। आदेश सिर्फ सरकार या न्यायालय दे सकती है। फिर भी मामले पर विचार किया जाएगा।
दरअसल महिला के पति सियाराम धुर्वे को जनवरी 21 को चिचोली पुलिस ने एक हत्या के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया। इसके 10 दिन बाद सियाराम ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। नाराज ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सियाराम ने पुलिस प्रताड़ना के कारण आत्महत्या की। इसी को लेकर उन्होंने थाने में लाश रख कर प्रदर्शन किया था।
सियाराम की पत्नी संगीता धुर्वे अपने पति की मौत को लेकर पिछले 6 महीने से न्याय के लिए भटक रही है।
इस मामले में संगीता ने कुछ तथ्य ग्राम सभा के सामने रखे सुनवाई के बाद पारंपरिक ग्राम सभा ने आदिवासी समाज के अधिकारों का उल्लेख करते हुए मध्य प्रदेश राज्य शासन की अनुसूचित जन जातियों की रूडीजन्य सहिंता 1992 के तहत और संविधान की कई धाराओं का उल्लेख करते हुए प्रस्ताव लिया कि महिला को न्याय नहीं मिला वहीँ प्रस्ताव में कहा कि पुलिस कर्मियों को बचाने के लिए प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की।
इस मामले में कलेक्टर अमनबीर सिंह का पक्ष सामने नहीं आया। तो पुलिस का कहना है। की सियाराम की आत्महत्या के मामले में अभी जांच चल रही है।
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