ग्वालियर में शुक्रवार को विजयदशमी पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने घराने की 200 साल पुरानी परंपरा के अनुसार मांढरे की माता मंदिर के पास स्थित मैदान में शमी के वृक्ष की पूजा की। इस माैके पर उनके बेटे आर्यमन भी राजसी पोशाक में साथ नजर आए। सिंधिया परिवार के पुरोहित ने विधि-विधान के साथ पहले पूजन कराया।इसके बाद सिंधिया ने शमी के वृक्ष पर तलवार चलाकर उसकी सोना पत्तियां गिराईं। वहां मौजूद सिंधिया परिवार के करीबी सरदारों और उनके वंशज ने यह पत्तियां लूटीं। इससे पहले सिंधिया, आर्यमन के साथ गोरखी स्थित देवघर पहुंचे। यहां उन्होंने राजसी चिन्हों का पूजन किया। हर वर्ष सिंधिया घराने के मुखिया यहां आकर पूजा करते हैं।विजयादशमी के दिन शमी के वृक्ष के पूजन का महत्व है। क्षत्रिय समाज में भी इसके पूजन की विशेष मान्यता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध से पहले अपने अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इसी वृक्ष के ऊपर अपने हथियार छुपाए थे। उसके बाद उन्होंने युद्ध में कौरवों पर विजय प्राप्त की। इस पेड़ के पत्तों को सोना पत्ती कहा जाता है।इस कारण घर या समाज का मुखिया पूजन के बाद इसकी पत्तियों को बांटते हैं।
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