Sagar महापौर चुनाव में कांग्रेस का बड़ा दाव,आखिर क्यों बीजेपी विधायक ShailendraJain पड़े धर्मसंकट में!
Sagar महापौर चुनाव में कांग्रेस का बड़ा दाव,आखिर क्यों बीजेपी विधायक ShailendraJain पड़े धर्मसंकट में!
सागर महापौर चुनाव में कांग्रेस का बड़ा दाव : आखिर क्यों बीजेपी विधायक पड़े धर्मसंकट में !
पंचायत और निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है दावेदारों की दौड़ भाग भी शुरू हो गयी है। कांग्रेस बीजेपी और दूसरी पार्टियां अपने अपने सियासी समीकरणों को बैठाने में लगी है और जिताऊ उम्मीदवार की तलाश कर रही है। लेकिन एमपी के सागर में नगर निगम महापौर पद के लिए कांग्रेस ने एक ऐसा दाव खेल दिया है जिस से न सिर्फ बीजेपी बल्कि सागर नगर विधायक शैलेन्द्र जैन को असमंजस में डाल दिया।
क्या है कांग्रेस का ये दाव और क्यों विधायक शैलेन्द्र जैन के सामने धर्म संकट आकर खड़ा हो गया और आखिर कैसे ये चुनाव ढोलक बीड़ी परिवार की नीव पर वार करेगा आज इसका विश्लेषण करने की कोशिश करेंगे।
ये है सागर नगर विधानसभा से बीजेपी विधायक शैलेन्द्र जैन उनके ठीक बगल में उनके छोटे भाई पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता सुनील जैन है। दोनों भले की सगे भाई हो लेकिन उनका रिश्ता भाई के साथ साथ एक दोस्त, एक साथी और एक दूसरे की ढाल का ज्यादा रहा है। भले ही दोनों अलग अलग पार्टी से हो लेकिन एक दूसरे की राजनीति इनके रिश्ते पर कभी भारी नहीं पड़ी। दोनों सागर के नामी प्रतिष्ठित परिवार ढोलक बीड़ी से आते है लेकिन साल 2022 का नगर निगम का चुनाव इन दोनों के न सिर्फ आपसी रिश्ते पर भारी पढता दिखाई दे रहा है बल्कि दोनों के बीच सियासत की कलम से एक ऐसी रेखा खींच जाएगी जिसको मिटा पाना आने वाले वक़्त में बहुत मुश्किल होने वाला है। ये सब हम इसलिए बोल रहे है क्योकि नगर निगम के महापौर पद के लिए कांग्रेस ने एक बड़ा दाव खेल कर सुनील जैन की पत्नी निधि जैन को लगभग अपना उम्मीदवार बनाना तय कर लिया है। और इस खबर के सामने आते ही सभी की नजर शैलेन्द्र जैन की तरफ हो गयी है की आखिर उनका इस पुरे विषय को लेकर क्या रुख होगा। क्योकि नगर निगम महापौर पद का चुनाव एक तरह से बीजेपी की तरफ से विधायक शैलेन्द्र जैन के कंधो होता है। पीछा चुनाव और उसके पहले हुआ उपचुनाव दोनों चुनाव में विधायक शैलेन्द्र जैन के मन के प्रत्याशी को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया और दोनों बार चुनाव प्रबंधन हो या चुनाव की पूरी बागडोर विधायक शैलेन्द्र जैन के हाथ में रही और दोनों बार उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी को जीत दिलाई। लेकिन अब जब उनके सामने कांग्रेस के टिकट पर छोटे भाई की बहू मैदान में होगी तो वो एक बहुत बड़े धर्म संकट में पड़ जायेंगे।
अगर निधि सुनील जैन कांग्रेस की महापौर पद के लिए उम्मीदवार हुई
विधायक शैलेन्द्र जैन को इस निकाय चुनाव में खुद को पार्टी के प्रति निष्ठां साबित करने के लिए अपनी पूरी तागत लगानी होगी छोटे भाई की बहू चुनावी मैदान में होगी तो उन्हें अपने राजधर्म के साथ साथ परिवार की मर्यादा को भी निभाना होगा चुनाव में जीत कैसे हासिल होगी इसको लेकर उनकी रणनीति कितनी आक्रमक होगी ये भी देखने वाली बात होगी
पूर्व विधायक सुनील जैन पर हमेशा आरोप लगता आया है की वो विधायक शैलन्द्र जैन के विधानसभा चुनाव के दौरन नयूटरल भूमिका में हो जाते थे जिसका फायदा विधायक शैलेन्द्र जैन को मिल जाता था लेकिन इस चुनाव में विधायक शैलेन्द्र जैन चाहकर कर भी ऐसा नहीं कर पाएंगे और निधि सुनील जैन को चुनाव में कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ेगा। यहाँ आपको ये भी बता दे की पूर्व विधायक सुनील जैन 1993 में कांग्रेस के टिकट पर देवरी विधानसभा से विधायक चुनकर आये थे तब से आज तक उन्हें एक अच्छे ब्रेक की तलाश थी वो देवरी से लगातार टिकट मांग रहे है एक बार टिकट नहीं मिलने पर वो निर्दलीय भी चुनाव लड़ चुके थे। लेकिन उन्हें जिस पोलिटिकल ब्रेक की तलाश थी वो उन्हें नहीं मिल पा रहा था। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में ऐसी खबरे सामने आई थी की कांग्रेस ने उन्हें सागर विधानसभा से अपना उम्मीदवार बनाना चाहा था लेकिन उन्होंने अपने बड़े भाई के सामने चुनाव लड़ने की इस पेशकश को नहीं स्वीकारा था लेकिन इस बार सामने भाई नहीं भाई की केवल साख है इसलिए उन्होंने चुनाव लड़ने का मन बना लिया है।
देखा जाये तो बीजेपी के लिए सागर नगर निगम महापौर सीट बेहद महत्पूर्व है पिछले 2 दशकों से यहाँ बीजेपी का कब्ज़ा है। अगर ऐसे में कांग्रेस का ये दाव सही बैठ जायेगा तो बीजेपी के लिए ये एक बड़ी हार साबित होगी।
निकाय चुनाव में वर्त्तमान समीकरणों को देखे तो सागर महापौर पद के लिए कांग्रेस और बीजेपी के बीच होने वाला मुकाबला बहुत दिलचस्प होने वाला है। पार्टी पार्टी के साथ साथ एक तरह से भाई भाई के बीच ये चुनाव होगा। ऐसे में बड़ा सवाल है की इस सियासी महाभारत में जीत किसे मिलेगी ?
विधायक शैलेन्द्र जैन को इस निकाय चुनाव में खुद को पार्टी के प्रति निष्ठा साबित करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगानी होगी।
छोटे भाई की बहू चुनावी मैदान में होगी तो उन्हें अपने राजधर्म के साथ-साथ परिवार की मर्यादा को भी निभाना होगा।
चुनाव में जीत कैसे हासिल होगी इसको लेकर उनकी रणनीति कितनी आक्रामक होगी, ये भी देखने वाली बात होगी।