50 करोड़ रूपये की लगत से बनी मध्य प्रदेश की पहली नदी-तालाब जोड़ो परियोजना के नहर के निर्माण में हुई गड़बड़ी और तकनीकी खामियां के चलते दो दिन में हुई हलकी बारिश में टीकमगढ़ की हरपुरा नहर टूट गयी। जिससे किसानो की खेतों में खड़ी फसलें खराब हो गयी हैं। दरअसल एमपी के टीकमगढ़ जिले में लगातार सूखा पड़ने से चंदेल कालीन तालाबों को भरने के लिए मध्यप्रदेश की पहली नदी तालाब जोड़ो परियोजना की आधार शिला साल 2011-12 में रखी गयी थी। जिसमें 50 करोड़ की लागत से 48.5 किलोमीटर लम्बाई की नहर का निर्माण होना था। जिससे जिले के 14 चन्देल कालीन तालाबों को भरा जाना था। और 1980 हेक्टेयर भूमि की सिंचाए भी होनी थी। लेकिन ठेकेदारों की मनमानी और भ्रष्टाचार के चलते यह परियोजना कागजों में सफल साबित लेकिन धरातल पर असफल साबित हो रही है। साल 2016 से यह परियोजना जिला प्रशासन को हैंडोवर हुई है। तब से अब तक 6 साल में एक भी तालाब में इसका पानी नहीं पहुंचा। जब भी बरसात होती है तो कहीं ना कहीं से पानी के दबाव के चलते यह टूट जाती है जिससे किसानों की फसलें बर्बाद होती हैं। वर्तमान में सरकार ने इसकी मरम्मत के लिए 10 करोड़ रूपये की लागत के टेंडर 25 अगस्त को खुलना है जिससे नहर का सुधार कार्य किया जाएगा। जो जगह-जगह से टूट फूट गई है। जिले को सूखे से निपटने और सैंकड़ों साल पुराने ऐतिहासिक चंदेल कालीन तालाबों को नया जीवन दिये जाने का सपना भ्रष्टाचार के चलते केवल सपना ही रह गया।
किसानों ने बताया की जब से यह नहर बनी तभी से उन लोगों की परेशानी बढ़ गई है साथ ही बोले की अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है।
मामले में कार्यपालन यंत्री आर एन यादव ने बताया की जल्द ही इसका मेंटनेस कराएँगे।---
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