भूतों का मेला….जी हां ! मेले तो आप ने बहुत देखे होंगे लेकिन || SAGAR TV NEWS ||
भूतों का मेला….जी हां ! आपने सही सुना, मेले तो आप ने बहुत देखे होंगे लेकिन आज आप को दिखा रहे हे भूतों का मेला। चौदस और अमावस्या की काली रात। दीयों से जगमग नर्मदा के घाट। प्रेतबाधा दूर कराने आए लोगों के परिजन और पंडो ने धाम लगा रखी है। टोलियों में भजन, ढोलक की थाप, झांझ, मंजीरों पर झूमती महिलाएं, कई लोग डरावनी आवाजें निकाल रहे हैं। जैसे-जैसे रात गहराती गई, ये आवाजें और डरावनी होती गईं। यह सब नजारे एमपी में अलग अलग में जगहों पर प्रसिद्ध मां नर्मदा के तट देखे गए, ऐसा करने वालो को लगता है की उनके दुःख दर्द और कष्टों से निवारण मिलेगा। बता दे कि हर साल नवरात्रि से एक दिन पहले आने बाली पितृमोक्ष अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है। यहा दूर-दूर से लोग एक दिन पहले ही नर्मदा के घाटों पर पहुंच जाते हैं। इसी एक रात पहले भूतों का मेला लगता है, जिन के ऊपर बाहरी बाधा भूत पालित के शिकार हे उनका उपचार रात भर किया जाता है। यहां इलाज जिसके शरीर में देवी-देवता आते वह पंडा करते है। सुबह स्नान के बाद भूत पालितो को मुक्ति मिलती है। लोग अपने अपने पंडा के साथ इकट्ठा हो कर पहुंचते है। अपनी समस्या भूत पालित को दूर कराते है। यह स्नान के बाद वस्त्र भी यही छोड़ने की धारणा है। यहां मेला वर्षों से चला अ रहा है।