नो दिनों तक भक्ति में लीन भक्त नवमी पर माता के जवारे विसर्जन करने भक्ति भाव से निकले अलग-अलग जगहों पर यह जवारे बोये जाते हैं ऐसे ही रायसेन जिले में जवारे विसर्जन के दौरान अनोखा नजारा देखने मिलता हे जहा कई पंडे जो की जवारों की सेवा करते हे अपने मुंह से त्रिशूल आर पार करते हैं जिन्हें बाना कहा जाता है यह माता की कृपा ही इनके ऊपर होती है कि यह एक गाल से दूसरे गाल में छेद करके इस बाना को निकाल लेते हैं और घंटों तक उस बाने को ऐसे ही छेद के रखते हैं और कहते हैं कि जो ऐसा कर लेता है उसमें माता का सत्य आ जाता है साथ ही उसकी शरीर के अंदर से सारी रोग बीमारियां दूर हो जाती हैं. बता दे रायसेन जिले में प्रति वर्ष भक्त इसी अंदाज में भक्ति में डूव कर माता का विसर्जन करतें हैं भक्तो की मानो तो यह माँ शकित की भक्ति का प्रताप हैं और यह कई पीडियो से चला आ रहन हैं भक्त वान पहने हुए नाचते भी हैं पर कोई दर्द नहीं होता हैं /नो दिन तक माता को भक्त अलग अलग भक्ति भाव से मानते है /और कुछ भक्त लोहे का दस फिट लम्वा और दस से पंद्रह पंद्रह का किलो का त्रिशूल (वाना ) पहनकर माता को मनाते हैं
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