सागर- लुप्त होती जा रही बुंदेलखंड की पहचान गड़िया घुल्ला || SAGAR TV NEWS ||

 

मकर संक्रांति के पावन पर्व पर शक्कर से बने गड़िया घुल्ला का काफी विशेष महत्व होता है। ससुराल, मायके के संबंधों में प्रेम और स्नेह घोलने वाली मिठाई की परंपरा बुंदेलखंड क्षेत्र में काफी प्राचीन काल से चली आ रही है। लुप्त हो रही इस परम्परा को ग्रामीण आज भी निभा रहे हैं। ये नज़ारा सागर जिले के रहली का है। कहा जाता है कि गडिया घुल्ला महाभारत के समय जो पशु युद्ध में मारे गए थे उनकी याद में गड़िया घुल्ला का निर्माण किया जाता है। जिसमें पशुओं की आकृति उकेरी जाती है। दुकानों में कई प्रकार के गड़िया घुल्ला मिलते हैं। जिनमें गाय,घोड़ा,घर, मजार कई प्रकार की आकृतियां होती हैं। बुंदेलखंड की संस्कृति में गढ़िया घुल्ला का अलग ही महत्व बताया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में मकर सक्रांति का पर्व आते ही जहां घरों और बाजारों में लड्डू देखने को मिलते हैं। तो गड़िया घुल्ला भी मकर सक्रांति का एक विशेष पकवान है। जिन्हे बनाने में विशेष मेहनत लगती है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग आकर इनकी बिक्री करते हैं। इनको शक्कर से बनाया जाता है। साथ ही विशेष प्रकार के सांचों में सीरा भरकर इसका निर्माण किया जाता है। हालाँकि कोरोना के चलते सभी गड़िया घुल्ला व्यापारी मुसीबत में हैं।
सुनिए इसे बनाने वाले क्या कहते हैं।


By - Adesh Agnihotri rehli sagar
13-Jan-2022

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