सागर में प्रदेश का एकमात्र उत्तरमुखी सरस्वती मंदिर,आदमकद में विराजी है मां की प्रतिमा SAGAR TV NEWS
बसंत पंचमी पर बुंदेलखंड के एक मात्र उत्तरमुखी विराजी मां सरस्वती के मंदिर में दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इतवारा बाजार स्थित सरस्वती मंदिर में 51 साल पहले वर्ष 1971 में मां सरस्वती की संगमरमर की प्रतिमा स्थापित की गई थी। माँ सरस्वती की प्रतिमा आदमकद में विराजी है। अनुज गौतम रिपोर्ट देखिए
मां सरस्वती ज्ञान की देवी है और उत्तर दिशा की अधिस्ठात्री है। इस कारण यहां मूर्ति की स्थापना उत्तर मुखी की गई। एकल उत्तरमुखी की प्रतिमा का यह एकमात्र मंदिर है। यह प्रतिमा आदमकद में स्वरूप में विराजी है यानि की आधी खड़ी और आधी बैठी इन्हे ही हंसवाहनी कहा जाता है। इस मंदिर में बसंत पंचमी पर विशेष आयोजन होते हैं। मंदिर के पुजारी यशोवर्धन चौबे ने बताया कि उनके पिता प्रभाकर चौबे ने वर्ष 1962 में बरगद का पेड़ लगाकर मंदिर का निर्माण शुरू कराया था। जिसके बाद शहर के लोगों ने सहयोग किया और मंदिर वर्ष 1971 में बनकर तैयार हो गया। इसी साल तत्कालीन सांसद मनिभाई पटेल के सहयोग से मां सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना की गई। उत्तरमुखी प्रतिमा होने से मंदिर का विशेष महत्व है।
मंदिर में बसंत पंचमी धूमधाम से मनाई जाती है। यहां सुबह से धार्मिक आयोजनों का सिलसिला शुरू होता है, जो देर रात तक चलता है। इस दौरान 14 संस्कार कराए जाते हैं। बच्चों की जीभ पर ओंम लिखकर अक्षर संस्कार किया जाता है। इसके अलावा भजन संध्या समेत अन्य आयोजन होते हैं।