सागर- मरीज़ आधारित होनी चाहिए विटामिन डी की जांचें
सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में टी बी, चेस्ट विभाग और सागर ओर्थपीडिक सोसाययटी (SOS) के तत्वाधान में संगोष्ठी आयोजित की गयी। जिसमें विटामिन डी की जाँचे और इसके इलाज से सम्बंधित जानकारी के अलावा फैले हुए भ्रम को लेकर जरूरी जानकारी दी गयी। इस दौरान आगामी 25 और 26 जून को प्रदेश भर का बढ़ा डाइअबीटीज़ का कॉन्फ़्रेन्स RSSDI के आयोजन का ब्रोशुर का अनावरण भी किया गया। संगोष्ठी को डॉ. सुरेन्द्र पडरिया ,सहायक प्राध्यापक, बीएमसी ने सम्बोधित किया उन्होंने बताया के कई लैब द्वारा विटामिन डी की जाँचे मरीज़ आधारित होनी चाहिए। इसका मतलब ये है की इसकी अनावश्यक जाँचे नहीं करने की ज़रूरत है और ना ही जाँचों के आधार पर इलाज शुरू करने की ज़रूरत है। इसके उलट मरीज़ की शिकायत के मुताबिक जाँचे करानी चाहिए। इसके साथ साथ इसके इलाज के लिए कैप्सल और पाउडर अपने डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर ही लेना चाहिए। अनावश्यक कमजोरी दूर करने के लिए ज़्यादा समय का विटामिन डी का इस्तेमाल गंभीर हो सकता है। इस दौरान डॉ. तल्हा साद, डॉ. संजीव मुखरिया, डॉ अरुण सराफ, डॉ. डी के पिप्पल , डॉ मनीष जैन, डॉ नन्होरिया, डॉ अतुल जैन ,डॉ राजेंद्र चौदह, डॉ मनीष झा, डॉ सचिन रेज़ा, डॉ रजनीश मिश्रा समेत अन्य स्टाफ मौजूद था