पति नेत्रहीन है पत्नी अपाहिज लेकिन हार नहीं मानी सब्जी बेचकर कर रहे गुजारा

 

 

तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी, तू न मुड़ेगा कहीं, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ ये कहानी भी कुछ ऐसी ही है। इसके दो किरदार हैं पति और पत्नी जो आत्मनिर्भर की जीती जागती मिसाल हैं। तस्वीरें बैतूल की हैं। जहां पति नेत्रहीन है तो पत्नी पैरों से अपाहिज है। लेकिन ज़िंदगी में हार नहीं मानी और किसी तरह मेहनत कर परिवार का गुजारा कर रहे हैं। जो किसी के रहमोकरम पर नहीं रहे। कोरोना महामारी के बदले हालातों में भी किसी के आगे हाथ फैलाना उन्होंने मुनासिब नहीं समझा। राजू वर्टी और उनकी पत्नी रामरती वर्टी जो बैतूल के आठनेर के मेंढा छिंदवाड़ गांव के रहने वाले हैं। दोनों की शादी 2009 में हुई थी। शारिरिक रूप से लाचार होने के बावजूद दोनों ने सरकार या किसी और के भरोसे रहने की बजाय स्वाभिमान के साथ जीने की राह चुनी। और डिस्पोजल दोने-पत्तल बनाने का काम चुना। किसी तरह मशीन की व्यवस्था कर दोनों मिलकर उससे दोने-पत्तल बनाते और उनकी बिक्री करके अपना परिवार चला रहे थे। दोनों की 2 बेटियां 9 साल की रिया और आठ साल की प्रिंसी हैं। बेटियों को अच्छी शिक्षा देकर उन्हें अच्छे मुकाम तक पहुंचाना चाहते हैं। बड़ी बेटी को डॉक्टर बनाने का सपना है।
लॉक डाउन में पत्तल का काम ठप्प हो गया। लेकिन हार नहीं मानी और सब्जी बेचने का काम शुरू कर दिया।
दिव्यांग पत्नी अपने नेत्रहीन पति को चार चक्कों वाली एक्टिवा पर बैठा कर लाती है। दोनों मंडी से सब्जी लेकर बाजार बेचते हैं।
बताया गया की राजू जब सात साल का था आंखे आई थी लेकिन इलाज ना होने से उसकी रोशनी चली गई। वहीँ रामरती के पांच साल की उम्र में पोलियो से पैर खराब हो गए।


By - Mahesh Chandel
19-Aug-2020

YOU MAY ALSO LIKE

Sagartvnews subscribe on youtube



NEWSLETTER

सागर टीवी न्यूज़ से सबसे पहले न्यूज़ लेने के लिए अभी अपना ईमेल डालें और सब्सक्राइब करें
Sagar TV News.