चार पीढियों से बांट रहे मिट्टी की गणेश मूर्ति, परंपरा बनाये रखने घर घर जाकर बांटी
धार्मिक दृष्टि और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिहाज से मिटटी की प्रतिमा बहुत महत्व है। सागर के आर्थिक रूप से सामान्य एक ताम्रकर परिवार चार पीढियों से पर्यावरण को बचाने हर गणेश उत्सव पर मिट्टी की गणेश मूर्ति को बांटते है। सागर के इतवारा बाजार के स्वर्गीय रामेस्वर ताम्रकार का परिवार यह काम कर रहा है। उनके बेटे और मोहल्ला के लोग मिलकर भगवान गणेश की मूर्ती बनाते है। यह परिवार मिटटी की आकर्षक और पूर्ण अकार की भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को बनाकर निःशुल्क श्रदालुओ को बाँटते है। यह संख्या हजारो में होती है। जिससे गणेश विशर्जन के कारण पर्यावरण दूषित न हो और उत्सव का रंग भी बना रहे।मिटटी के गणेश को बांटकर ये परिवार पर्यावरण को सहेजने का काम पिछले 100 साल से कर रहा है। । पीतल के सांचे में शुद्ध काली मिटटी को डालते है और गणेश जी की मूर्ती निकलती है। श्री गणेश की बैठी हुई यह मूर्ती होती है। पुरे स्वरूप में गणेश जी है ,इसमें रिध्धि और सिध्धि और चूहा सब बना हुआ है। मिटटी के ये गणेश दस दिन तक ज्यो के त्यों बने रहते है। लोग पुरे श्रद्धा भाव से इसे ले जाते है। सबसे बड़ी बात यह है की इनका कोई पैसा नहीं लिया जाता है।