MP | उल्लू की चोंच और श्रीयंत्र पर बना अनोखा लक्ष्मी मंदिर, प्रतिमा नहीं फिर भी होती है पूजा
मप्र में भगवान श्रीरामराजा की नगरी और बुंदेलखंड की अयोध्या के नाम ओरछा में माता लक्ष्मी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। ओरछा किले से करीब 2 किमी दूर पहाड़ी पर लक्ष्मी मंदिर स्थित है। यह अद्वितीय वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है। यह मंदिर अनूठा इसलिए है क्योंकि इसको आकार किले और मंदिर का एक सुंदर समावेशन है। उल्लु की चोंच के आकार का मुख्यद्वार, श्रीयंत्र के आधार पर यह लक्ष्मी मंदिर बना है। ओरछा का लक्ष्मी मंदिर देश-दुनिया का इकलौता लक्ष्मी मंदिर है, जहां माता लक्ष्मी की प्रतिमा मौजूद नहीं है। यहां गर्भगृह में माता लक्ष्मी का राज सिहांसन खाली है। माता के भक्त और श्रृद्धालु गर्भगृह की चौखट से खाली सिहांसन की पूजा करके लौट जाते हैं। धनतेरस और दीपावली पर यहां हजारो श्रृद्धलु आते हैं। मंदिर के अंदर-बाहर, गर्भगृह में रोशनी करते हैं, चारों तरफ हजारों दीपक जलाते हैं और मंदिर को रोशनी से जगमग करते हैं। इतिहास में झांककर देखा जाए तो ओरछा के इस लक्ष्मी मंदिर में माता लक्ष्मी और भगवान नारायण की अद्भुत और अलौकिक प्रतिमा को गर्भगृह में विराजमान कराया गया था। यह मंदिर उल्लू की चोंच के आकार के प्रवेशद्वार के आधार पर इसलिए बनाया गया है, क्यों यहां तंत्रशास्त्र की पूजा हो सके और श्रीयंत्र व माता लक्ष्मी की श्रीविद्या को जागृत किया जा सके। लेकिन पुरातत्व महत्व के इस मंदिर और यहां विराजमान माता लक्ष्मी व भगवान श्रीनारायण की प्रतिमा को 1983 में रात के अंधेरे में चोरी कर लिया गया था। आज तक प्रतिमा चोरी करने वाले गिरोह व प्रतिमा का पता नहीं चल सका है। इस कारण मंदिर का गर्भ गृह आज भी खाली ही है। ओरछा में 16 वीं शताब्दी में शासक रहे राजा वीरसिंह देव ने ओरछा में कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण कराया था। उन्होंने 1622 ईसवी में लक्ष्मी मंदिर का वैदिक और आध्यामिकता के साथ वास्तुकला का ध्यान रखते हुए श्रीयंत्र के आकार में निर्मित कराया था। मंदिर का1793 में पृथ्वी सिंह द्वारा पुनः निर्माण कराया गया। मंदिर की भीतरी दीवारों को पौराणिक विषयों के उत्कृष्ट भित्तिचित्रों से सजाया गया है। इनके रंग आज भी जीवंत हैं और लगता है कि चंद साल पहले ही इनका निर्माण कराया गया होगा।