सागर-मनसुख के सपनों में आती हैं वैष्णव देवी, माता के दर्शन करने 33 बार पैदल यात्रा कर चुके
माता वैष्णव देवी के दर्शनों की लगन और आस्था और मातारानी की कृपा व चमत्कारों के देश में लाखों किस्से देखने और सुनने को मिल जाते हैं, लेकिन माता रानी का सागर में एक अनूठा भगत मौजूद है। इन्हें सपने में मातारानी दर्शन देती हैं तो दूसरे दिन वे ध्वज पताका लेकर पैदल ही सागर से माता वैष्णवदेवी के प्रत्यक्ष दर्शन करने निकल पड़ते हैं। वे यह यात्रा पैदल ही तय करते हैं और 35 से 40 दिन तक लगातार पांव-पांव चलकर माता के दिव्य दरबार में पहुंचते हैं। मनसुख लाल विश्वकर्मा की उम्र 75 साल है। उम्र के इस पड़ाव में भी वे चुस्त-दुरुस्त हैं। बीते 15 साल पहले तक वे पुश्तैनी धंधा करते थे, लेकिन बेटों द्वारा कामधंधा संभालने के बाद उन्होंने काम बंद कर दिया। इसी दौरान उनके सपने में माता वैष्णवदेवी दरबार के दर्शन होने लगे। एक दिन अचानक वे संकल्प लेकर मातारानी की ध्वज थामकर, एक कंबल, एक जोड़ी कपड़े और भोजन के लिए एक थाली थैले में रखकर निकल पड़े परिजन ने रोका, टोका, लेकिन माता के दर्शनों की धुन ऐसी सवार थी कि वे नहीं माने और निकल पड़े। वे पहली बार में करीब 40 दिन में माता के भुवन में पहुंच सके थे। इसके बाद हर छह महीने में उनके वैष्णदेवी दरबार जाने का सिलसिला प्रारंभ हो गया। मनसुख लाल ने बताया कि जब तब माता रानी सपने में आकर बुलाती रहेंगी वे पैदल ही उनके दरबार तक पहुंचेगे। गाड़ी में बैठकर नहीं जाएंगे। उनकी उम्र 75 साल है। मनसुख कहते हैं बच्चे, बहू सब रोकते हैं, लेकिन माता रानी का बुलावा आता है तो जाना पड़ता है। सपना आने के बाद नहीं गए तो बीमार हो जाते हैं। हाथ-पैर जकड़ने लगते हैं। घर से नाश्ता लेकर निकलते है। खत्म हुआ तो आटा खरीदकर रोटी बना लेते हैं। बता दें कि बीते दिनों मनसुख लाल को भटिंडा में एक स्थानीय सिख व्यक्ति ने रोककर इनसे बातचीत का वीडियो बनाकर वायरल किया था। वीडियो के माध्यम से मनसुख मातारानी के अनूठे भक्त के रुप में पहचाने जाने लगे हैं।