सरकारी स्कूल में बच्चे डांस के साथ सीख रहे पहाड़े याद करना,लोकगीत में तैयार किया पहाड़ा SAGAR TV NEWS
ये है बैतूल के केलापुर गांव का शासकीय माध्यमिक स्कूल यहां पर बच्चे नाचते हुए नजर आ रहे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि पढ़ाई के समय बच्चे स्कूल परिसर में नाच क्यों रहे हैं, तो हम बताते हैं यह है पढ़ाई का नया तरीका। जिसे समाजसेवी राजेश सरियाम ने ईजाद किया है। उन्होंने बच्चों के लिए पहाड़ा तैयार किया है। जो आदिवासी लोकगीत के रूप में है। ताकि बच्चों को पहाडा आसानी से याद हो जाए। बताया जाता है कि इस स्कूल के बच्चे मौज मस्ती के साथ पढ़ाई करते हैं। गाने गाकर और डांस के साथ पढने में उन्हें मजा भी काफी आता है। म्यूजिक पर बच्चों के साथ उनकी टीचर भी नाचती हैं। इस दौरान गोंडी भाषा में गाना बजता है। जिसमें पहाड़ा रहता है गाने के साथ बच्चे पहाड़े को रिपीट करते हैं। जिनको काफी मजा आता है। देखा जाए तो इस तरह का प्रयोग पहली बार किसी स्कूल में किया गया है। जो क्षेत्र में चर्चा का विसय बना है। वही, इस बारे में टीचर संध्या रघुवंशी बताती है कि हम बहुत सारी गतिविधि बच्चों के साथ करते हैं जिससे बहुत सारी चीजें बच्चों को सिखाने में सरलता होती है। गतिविधि के माध्यम से बच्चों को कई विषयों का ज्ञान दिया जाता है जिसमें नृत्य कला और चीजों को पहचान कर समझने का गुर सिखाया जाता है। लोकगीत बनाने वाले राजेश सरियाम ने बताया कि बच्चे बगैर मानसिक तनाव के पढ सकें, इसके लिए मैने दो से दस तक के पहाडे बनाए है। इस दौरान बच्चे नाचते हुए पहाडे याद करते है। मोबाइल के माध्यम से भी यह लोकगीत घर-घर पहुंच रहा है। वही छात्रा दिव्यांशी का कहना है कि पहले पहाड़े पढ़ते थे तो भूल जाते थे लेकिन अब डांस करके पहाडे सीख रहे हैं तो याद बने रहते है। छात्र गौरव का कहना है कि अब स्कूल में डांस करके पहाड़े याद करते हैं, इसमें मजा भी आता है।