सागर-भगवान के विवाह में उमड़ी भीड़, धूमधाम से निकली बारात
हिंदू पंंचाग के नौवे महीने यानी अगहन की पंचमी का दिन पवन अवसर माना जाता है। इसी दिन भगवान राम और सीता का विवाह हुआ था। इसे मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को उत्सव की तरह मनाया जाता है। सोमवार को सागर की अतिप्राचीन वृन्दावनबाग मंदिर में राम विवाह का आयोजन हुआ। सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में विधि-विधान के साथ प्रभु राम और माता सीता का पूजन किया गया। इसके बाद बारात निकासी - आगमन - द्वारचार - मंडप - फेरे तक का आयोजन हुआ महिलाओं ने भजनों की धुन पर नाचगाकर विवाह संपन्न किया और विवाह की कथा सुनी। धर्म ग्रंथों के अनुसार मुथिला नरेश राजा जनक परम ज्ञानी थी उनके शिव मंदिर में शिवजी का धनुष रखा हुआ था। जिसे कोई भी हिला दुल तक नहीं सकता था। जनक की पुत्री सीता शक्ति का अवतार थी उन्होंने पूजन के दौरान धनुष को सहजता से उठाकर व्यावस्थित रखा तब राजा जनक अचंभे में पड़ गए। इसके बाद उन्हें आभास हो गया कि उनकी उनकी पुत्री अवश्य कोई अवतार ही हैं जिनके लिए योग्य वर ने अवश्य अवतार लिया होगा। इसी विचार को मैन में रखते हुए उन्होंने स्वयंवर का संकल्प लिया। कि जो भी शिव धनुष को उठा लेगा उसी से वह उनका विवाह करेंगे।