भक्ति का प्रादुर्भाव होते ही भगवान प्रकट हो जाते हैं कहा - पं. हृषीकेष जी महाराज
सागर- राजघाट रोड पर मझगुंवा अहीर में आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास भक्ति प्रसाद हृषीकेष जी महाराज ने कथा के माध्यम से कहा कि हृदय में भक्ति का प्रादुर्भाव होते ही भगवान प्रकट हो जाते हैं। भक्ति की प्राप्ति कैसे हो, इसी के लिए सारे उपाय किए जाते हैं। कथा व्यास ने कहा कि सूत जी ने बताया कि जिस समयस भक्ति महारानी का प्रादुर्भाव हुआ सबके हृदय में सनकादि भक्ति महोत्सव मना रहे थे। कथा का रसपान कर रहे थे। जब भक्ति का चित्त में अलौकिक आगमन होता है तो ज्ञान-वैराग्य आदि पुष्ट हो जाते हैं, भगवान भी हो जाते हैं। मगर भक्ति का प्रकटीकरण सबके अंदर नहीं हो पाता। हृषीकेष जी महाराज ने कहा कि संसार में सबको ज्ञान तो है। सब जानते हैं कि राम नाम ही सत्य है, लेकिन यह सब ज्ञान सोया हुआ पड़ा रहता है। ये सोया ज्ञान प्रकट कैसे होगा, इसी का मार्गदर्शन श्रीमद्भागवत कथा करती है। श्रद्धापूर्वक सुनने से ही संसार से वैराग्य हो जाता है। संसार न कभी अपना था, न वर्तमान में है और न ही भविष्य में अपना रहेगा। भगवान का प्राकट्य शुद्ध हृदय में होता है। जब जीव भागवत की इच्छा करता है तो भगवान हृदय में बैठ जाते हैं। आप सभी को यह अवश्य ही अनुभव करना चाहिए कि आपके हृदय में विराजकर भगवान स्वयं कथा सुन रहे हैं। भगवान की कथा भगवान सुनते हैं। विश्व के कोई भी धर्म हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, सभी धर्मों के मानने वालों का एक ही परम धर्म है कि परमात्मा का स्मरण करें। कथा प्रारंभ में आरती यजमान रामशंकर तिवारी द्वारा की गई। बीच-बीच में संगीतमय संर्कीतन ने भक्तों भाव विभोर कर दिया। कथा प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से 5 बजे तक आयोजित है।