सागर-रंगों के त्योहार पर रिश्तों में मिठास घोलता है प्रसिद्ध घीयर || SAGAR TV NEWS ||
त्योहार कोई भी हो, खुशियां मिठाई के बिना अधूरी ही रहती हैं. होली के पर्व पर भी लोग जहां घरों में स्वादिष्ट पकवान बना रहे है. वहीं, अतिथियों की आवभगत के लिए मिठाइयां भी खरीद रहे है. हर मिठाई की अपनी विशेषता है. ऐसे ही होली के पर्व पर सागर में जलेबी घीयर का खासा महत्व है. होली पर कई समाजों में अलग-अलग प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। वहीं सिंधी समाज में घीयर मिठाई का अलग ही महत्व हैं। होली पर हर घर में घीयर की मिठाई से पूजा- अर्चना होती है। जलेबी की तरह दिखने वाली यह सिंधी समाज मिठाई होली के दिन इसकी मांग अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाती हैं। होली के पर्व पर आपसी बैर भूलकर सभी एक दूसरे को रंग लगाते हैं। वहीं इस पर्व में सिंधी समाज की खास परंपरा है। जिसमें समाज के लोग अपनी बहन बेटियों को हमेशा साथ जोड़ने के लिए घीयर भेजते हैं। जो आस-पास रहते है उनके घर पर होली के एक-दो दिन पहले भेजते है और जो दूर रहते है उनके घर पहले ही भिजवा दिया जाता हैं। बताया है कि आजादी के पहले पाकिस्तान से ही घीयर को बनाना शुरू किया गया था और इसके बाद सिंधी समाज के लोग भारत के अलग-अलग हिस्सों में रहने लगे और जब से ही पूरे देश में रहने वाले सिंधी समाज के लोग विभाजन के बाद भी अपनी परंपरा को निभाते आ रहे हैं। यह दिखने में जलेबी की तरह दिखती है, लेकिन आकार में बड़ी होती है मगर इस पारंपरिक घीयर का स्वाद जलेबी से काफी अलग होता है। घीयर बनाने वाले बताते कि घीयर बनाने के लिए मैदा का पेस्ट में खमीर मिलाते है जिससे इसमें हल्की खटास आती है। घी, तेल में जलेबी की तरह ही इससे तलकर शक्कर की चाशनी में डुबाया जाता है।