सागर-सूबेदार रश्मि कैसे बनीं पावरलिफ्टिंग में स्टेट चैंपियन बन जीता स्वर्ण पदक
जिंदगी एक बार मिलती है, इसलिए अधूरे रह गए शौक जरूर पूरे करना चाहिए और जब सेहत के लिए फायदेमंद हो, तो फिर क्यों पीछे हटना. ऐसा मानना है सागर की जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी में सूबेदार पद पर पदस्थ रश्मि रावत का. जो बचपन से खेलों की शौकीन थी, लेकिन पढ़ाई और परिवार की जिम्मेदारी के कारण अपना शौक पूरा नहीं कर पाई. रश्मि जब 40 की उम्र पार करने के बाद अपनी फिटनेस को लेकर सतर्क हुई और जिम जाना शुरू किया, तो पावर लिफ्टिंग का शौक चढ़ गया. शौक भी ऐसा चढ़ा कि पहले जिला स्तर पर पहला स्थान हासिल किया और फिर इंदौर में स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर प्रदेशभर में पहला स्थान हासिल किया. सूबेदार रश्मि रावत उन महिलाओं के लिए मिसाल है. जो परिवार की जिम्मेदारी और उम्र के के चलते अपने शौक पूरे नहीं कर पाती हैं. जब उम्र के पड़ाव पर बीमारियां घेर लेती हैं, तो अपने आप को लाचार पाती हैं. सागर स्थित जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी में पदस्थ सूबेदार रश्मि रावत की बात करें, तो बचपन से खेलों की शौकीन रही रश्मि रावत नौकरी और परिवार की जिम्मेदारियों के चलते दिनभर व्यस्त रहती थी. पुलिस अकादमी में सूबेदार की नौकरी और परिवार में दो बच्चों के पालन- पोषण की जिम्मेदारी के चलते रश्मि रावत अपनी तमाम इच्छाओं और शौक को भूल चुकी थी, लेकिन उम्र के 40 साल पार करने के बाद उन्हें लगा कि सेहत के लिए जरूरी है कि वह फिर खेलना कूदना शुरू करें, तो उन्होंने जिम जाना शुरू किया. पहले तो फिजिकल फिटनेस के लिए उन्होंने जिम जाना शुरू किया, लेकिन जिम में वर्कआउट के दौरान उन्हें पावर लिफ्टिंग का शौक चढ़ गया. उनको देखकर कई लोगों ने चैंपियनशिप में हिस्सा लेने की सलाह दी. पहले तो रश्मि रावत ने सागर में आयोजित जिला स्तरीय पावरलफ्टिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और जब पहला स्थान हासिल किया, तो उनका मनोबल काफी बढ़ गया. फिर मध्यप्रदेश पावर लिफ्टिंग एसोसिएशन द्वारा 3 से 5 मार्च तक इंदौर में आयोजित स्टेट पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में 52 किलोग्राम वर्ग में 152.5 किलोग्राम वजन उठाकर पहला स्थान हासिल किया.