सागर-पैसों की कमी से अधूरा न रह जाए किसान के बेटे का वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना || SAGAR TV NEWS ||

 

7 सालों की अथक मेहनत और अपने हुनर के दम पर 21 साल के लड़के का कूड़ो वर्ल्ड कप में चयन हो गया. 9 मई से यह टूर्नामेंट जापान के टोक्यो में आयोजित किया जाएगा. मध्य प्रदेश के जिन 4 खिलाड़ियों का वर्ल्ड कप में चयन हुआ है उसमें से एक सागर जिले का शैलेंद्र कुर्मी है. जो भारत का प्रतिनिधित्व कर उसका नाम रोशन कर सकता है. लेकिन जापान तक पहुंचकर इस टूर्नामेंट का हिस्सा बनने के लिए आर्थिक चुनौती खड़ी हो गई है. किसान के बेटे के सामने रुपयों का संकट आ गया है, अपने सपने को पूरा करने और देश के लिए मेडल लाने के लिए शैलेंद्र ने जनता से मदद की अपील की है. उसका कहना है अगर कोई 100 रूपये दे तो वह भी उसके लिए बहुत होगा,
इस टूर्नामेंट में शामिल होने के लिए सारा खर्चा उसे खुद ही उठाना पड़ेगा और इसका खर्च करीब तीन लाख रुपए आ रहा है जनवरी में सिलेक्शन होने के बाद से वह और उसका परिवार लगातार रुपयों के इंतजाम करने में जुटा हुआ था अभी तक वह एक लाख रुपया ही एकत्रित कर पाया, इसके लिए उसने अपने परिवार से सहयोग लिया साथ ही एक रेस्टोरेंट भी ओपन किया लेकिन उससे ज्यादा कमाई नहीं हो पाई, नतीजतन अब शैलेंद्र को समाज से मदद की दरकार है उसके सपने को पूरा करने में आप सहयोग कर सकते है. इसके लिए उसने सोशल मीडिया पर उसके लिए डोनेशन करने का निवेदन किया है, अभी शैलेंद्र ने एक नंबर जारी किया है 9340383181 जिस पर कोई भी मदद के रूप में पैसे भेज सकता है बता दें कि सागर जिले के राहतगढ़ ब्लॉक में आने वाले भैंसा भीष्म गांव के किसान रामकुमार कुर्मी का बेटा शैलेंद्र बचपन से ही गेम का शौकीन था एक्शन फिल्म उसे अच्छी लगती थी. कक्षा दसवीं में स्कूल में मार्शल आर्ट का कैंप लगा तो उसका हिस्सा बना. साल 2017-18 इसे कूड़ो से जुड़ गया और फिर देश के लिए कुछ करने के लिए मेहनत करने लगा शैलेंद्र की मेहनत का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि उसने पिछले 6 सालों में अभी तक 28 टूर्नामेंट खेले हैं जिसमें से 26 में गोल्ड मेडल जीते हैं इसमें आठ गोल्ड मेडल नेशनल प्रतियोगिताओं में और दो इन्विटेशनल अंतरराष्ट्रीय मैच में 2 गोल्ड जीते हैं. स्टेट लेवल पर भी 12 गोल्ड मेडल प्राप्त किए हैं.
शैलेंद्र कुर्मी बताता है कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसके बाद भी उन्होंने हमारी इच्छा और लगन को देखते हुए हमेशा ही हमें सपोर्ट किया. अभी भी जितना जो कुछ बन पाया वह किया फसल से भी कुछ उम्मीद थी लेकिन ओलावृष्टि होने की वजह से पूरी फसल चौपट हो गई इसकी वजह से परिवार से मिलने वाली और मदद की उम्मीद भी खत्म हो गई. शैलेंद्र को आम लोगों से मदद का पूरा भरोसा है और वह अभी अपनी प्रैक्टिस और वर्कआउट करने में जुटा हुआ है. शैलेंद्र अभी डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से b.a. थर्ड ईयर की पढ़ाई कर रहा है. जो वर्तमान में मकरोनिया स्थित नोबल कॉलेज के पास निवास करता है उसके द्वारा सोशल मीडिया पर की गई अपील का कुछ कुछ असर दिखाई भी देने लगा है कुछ लोग मदद करने के लिए आगे भी आए हैं.


By - SAGAR TV NEWS
27-Mar-2023

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