अवैध खनन से खतरे में शैल चित्रों का अस्तित्व,अधिकारी बेखबर || SAGAR TV NEWS ||
रायसेन जिले में पुरातात्विक धरोहर का खजाना भरा पडा है। लेकिन खनन माफियाओं की वजह से ऐतिहासिक काल के शैल चित्रों का अस्तित्व खतरे में हैं। इन्हें बचाने के लिए न तो खनिज विभाग जागा और न ही जिला प्रशासन आगे आया। इसको लेकर इतिहासकारों ने चिंता जाहिर की है। आज से 10 से 20 हजार साल पहले आदिमानवों ने के प्राचीन दुर्ग की तलहटी से लगे हुए पहाड़ की चट्टानों और गुफाओं में भित्तिचित्र उकेरे थे, जिनमें डायनासोर, गेंडा, घोड़ा, पशु पक्षी सहित अन्य भित्ति चित्र है। जो आज देख रेख के अभाव और अवैध खनन से नष्ट होने की कगार पर है। बताया जाता है कि तत्कालीन कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने इन शैल चित्रों को सहेजने और इस पहाड़ी से एक किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोक लगाई थी। परंतु खनिज बिभाग की लापरवाही से यहां अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है, जिस पहाड़ी पर यह शैल चित्र बने उसी पहाड़ी के नीचे महज कुछ कदम दूर खननकर्ता पहाड़ को खोखला कर रहे है। इन शैल चित्रों को देखने के लिए न केवल भारतीय पर्यटक बल्कि विदेशों से भी पर्यटक आते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने भी वनवास के समय राम छज्जा पर चातुर्मास व्यतीत किया था और इस राम छज्जा के शैल चित्रों को लेकर कई इतिहासकारों ने लिखा है। पुरातत्वविद स्वर्गीय रमाशंकर मिश्र सहित स्पेन से आए इतिहासकार ने भी अपनी पुस्तक मे इन भित्तिचित्रों को सहेजने को लेकर कलेक्टर अरविंद दुबे से चिन्ता जताई थी उसके बाद भी शैल चित्रों का अस्तित्व संकट में है। वही, स्थानीय इतिहासकार राजीव चौबे ने भी शैल चित्रों को बचाने की गुहार लगाई थी और बताया था कि जब दक्षिण अफ्रीका में पुरातत्व महत्व के स्थान पर चल रही सोने की खदाने वहां की सरकार ने बंद करवा दी तो फिर यहां के शैल चित्र को बचाने के लिए जिला प्रशासन को गंभीर होना चाहिए।