नौरादेही में बनेगा MP का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व !, अभ्यारण का नाम भी बदला जाएगा
एमपी के सागर दमोह और नरसिंहपुर जिले की सीमाओं में फैले वन्यजीव नौरादेही अभ्यारण को जल्द ही प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व का तमगा मिल सकता है. जिसके बाद यहां पर पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगा साथ ही इस क्षेत्र का तेजी से विकास भी होगा. नौरादेही अभ्यारण को अगर टाइगर रिजर्व बनाया जाता है तो इसका नाम भी बदलकर वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व करने की योजना है. अभी नौरादेही अभ्यारण करीब 1100 सौ वर्ग किलोमीटर एरिया में फैला हुआ है. लेकिन नई प्रस्ताव में दमोह जिले में आने वाले रानी दुर्गावती अभ्यारण को भी इससे जोड़ा जाएगा. जिसके बाद इसका एरिया करीब 1500 वर्ग किलोमीटर का हो जाएगा,नौरादेही को टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने के लिए कार्यवाही जारी है अभी कोर जोन का नोटिफिकेशन है वहीं बफर जोन के नक्शा सहित अन्य जरूरी चीजों का प्रस्ताव बनाया जा रहा हैं. नोरादेही बन मंडल की तरफ से इसे राज्य सरकार को भेजा जायेगा. राज्य सरकार केंद्र सरकार को भेजेगी जहां से अप्रूवल मिलेगा. नौरादेही अभ्यारण के डीएफओ डॉक्टर ए ए अंसारी ने जानकारी देते हुए बताया कि अगर नौरादेही अभ्यारण टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित होता है तो यहां पर सागर नरसिंहपुर जबलपुर भोपाल सहित अन्य क्षेत्रों से पर्यटकों को की संख्या बढ़ेगी. सरकार ने साल 2018 में बाघ पुनस्र्थापन प्रोग्राम के तहत यहां कान्हा टाइगर रिजर्व से बाघिन जिसे राधा नाम दिया गया था, उसे लाकर बाडे़ में रखा गया था। उसके बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से नर बाघ जिसे किशन नाम दिया गया था, उसे दूसरे बाड़े में रखा गया था। यह बाघ इतना तेज था कि उसके बाड़े के पास जाने की हिम्मत अमला तक नहीं कर पाता था। चंद रोज में इन दोनों को जंगल में छोड़ा गया था। प्राकृतिक माहौल में राधा-किशन को नौरादेही भा गया और दोनों ने इसे स्थाई घर बनाते हुए परिवार को आगे बढ़ाना शुरु कर दिया था। करीब एक साल बाद राधा-किशन के मिलन से तीन शावकों का जन्म हुआ था। जिसमें दो मादा व एक नर बाघ था। महज चार साल के छोटे से अंतराल में इनकी संख्या उम्मीद से अधिक बढ़कर 12 हो गई हैं। भविष्य के लिए यह अच्छा संकेत है।