Will Sagar-Khurai win or will Bina win? There is a war between two tehsils, know the reason
जिला बनाने के लिए अनिश्चितकालीन धरना…जी हां, मध्य प्रदेश में इन दिनों यह अजीबोगरीब जंग सागर जिले की दो तहसीलों के बीच छिड़ी हुई है. सागर की खुरई और बीना तहसील को जिला बनाने की मांग को लेकर आम लोग आमने-सामने हैं. दोनों ही तहसीलों के क्षेत्रवासी अपनी-अपनी मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. लोगों का कहना है कि लंबे समय से इस मांग को पूरा करने के लिए आंदोलन किया जा रहा है. आइए जानते हैं कि दोनों तहसीलों को जिला बनाने के दावों में कितना दम है.
सबसे पहले बात खुरई तहसील की करें, तो यह अंग्रेजों के समय की है. 1867 में इसकी स्थापना हुई थी. इसके पहले तहसीलदार नारायण प्रसाद राव थे. यह मप्र की करीब 157 साल पुरानी तहसील है. इससे अलग होकर अभी तक तीन तहसील बनाए जा चुके हैं, जिनमें बीना भी शामिल है. यहां 16 से ज्यादा सरकारी कार्यालय हैं. इसके अलावा यहां रेलवे स्टेशन, उप जेल और सिविल हॉस्पिटल भी है. खुरई विधानसभा क्षेत्र में एक नगर पालिका और चार नगर परिषद हैं. लिहाजा खुरई के लोग अब तहसील कार्यालय परिसर में ही धरना पर बैठे हैं. उन्हें अलग-अलग संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है. लोगों का कहना है कि उनकी मांग 47 साल पुरानी है.
दूसरी तरफ बीना में भी जिला बनाने की मांग को लेकर धरना चल रहा है. बीना को तहसील का दर्जा साल 1982 में मिला था. कुछ सालों बाद ही इसे जिला घोषित करने की आवाज़ें उठने लगी थीं. बीना को बुंदेलखंड और मालवा का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है, यहां पर बुंदेलखंड का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन भी है. चारों दिशाओं से इसकी कनेक्टिविटी है. वहीं साल 1995 में बीना में रिफाइनरी का भूमि पूजन हुआ था अब न सिर्फ वह मूर्त रूप ले चुकी है बल्कि यहां विस्तार के लिए 50 हजार करोड़ का एक्सटेंसन भी सरकार से मिल चूका है, यहां के लोगो का कहना है उन्हें काम के लिए 75 km दूर सागर जाना पड़ता है, इससे पूरा दिन लग जाता है, बीना को चार दशक से जिला बनाने की मांग की जा रही है।
ऐसे में देखना यह है कि मध्य प्रदेश सरकार बीना और खुरई, दोनों में से किस तहसील की मांग पर ध्यान देती है.