Sagar | The smaller the funeral procession, the heavier it is, Dipu Bhargavas emotional post on the Shahpur case.
Sagar | जनाजा जितना छोटा होता अक्सर उतना ही भारी होता है, शाहपुर मामले पर दीपू भार्गव की भावुक पोस्ट
जनाजा जितना छोटा होता है अक्सर उतना ही भारी होता है आज तक केवल सुना था लेकिन आज देख भी लिया. आज मित्रता दिवस के दिन न जाने कितने मित्रों ने अपने मित्रों को खोया है. कुछ मित्र अपने मित्रों के साथ मित्रता निभाते निभाते इस दुनिया से चले गए. भगवान भोलेनाथ के रुद्री निर्माण के पावन कार्यक्रम की तैयारी में लगे हुए बाल शिव स्वरूप छोटे-छोटे बच्चे कॉल के गाल में समा गए. सब देखते रहे विधि के विधान के आगे कोई कुछ नहीं कर पाया. यह भावुक कर देने वाली पोस्ट पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे और भाजपा नेता अभिषेक दीपू भार्गव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया रविवार को रहली विधानसभा के शाहपुर में हुए हादसे पर उन्होंने यह भावुक कर देने वाली पोस्ट लिखी है
आगे लिखा कि हमारे विधानसभा के शाहपुर नगर में रुद्री निर्माण आयोजन के स्थल के बाजू के कच्चे मकान की दीवाल गिर जाने के कारण नौ मासूम आसमय ही काल कलवित हो गए. जब दीवार का मालवा हटाकर उन मासूम बच्चों को निकाला जा रहा था तब दृश्य ऐसा था कि देखने वालों का कलेजा भी मुंह को आ गया था. एक-एक कर कर जब उन बच्चों को मलबे से बाहर निकाला जा रहा था तब वहां खड़ा प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह उनके परिजन हो चाहे ना हो जो भी देख रहा था वह अपने आंसू नहीं रोक पा रहा था.
शाहपुर से सागर जिला अस्पताल आते आते 8 बच्चों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था. एक बच्चे के परिजन सागर के स्थान पर उसे दमोह लेकर गए लेकिन दमोह में भी उसका जीवन हम बचा नहीं पाए और उसने वहां अपना दम तोड़ा. आठ बच्चों का पोस्टमार्टम सागर जिला चिकित्सालय में हुआ जब एक-एक करके बच्चों के शव पोस्टमार्टम कमरे से बाहर निकाल कर गाड़ियों में रखे जा रहे थे तो देखने वालों की आंखों से अश्रु धारा बह निकली थी. जब बच्चों के दिवंगत शरीर उनके घरों में पहुंचे तब वहां का मंजर बयान करने के लिए शब्द नहीं हैँ. परिजनों के आँशु और चित्कारों के बीच एक एक कर बच्चों की आर्थियां मुक्तिधाम को रवाना हुई. घर से मुक्ति धाम तक के रास्ते मे सभी शाहपुर नगरवासी आँखों मे आँशु लिए इन नन्हे मुन्ने बच्चो को अंतिम विदाई देने खड़े हुए थे.
ऐसी घटना ऐसा दृश्य न जीवन में मैंने कभी पूर्व में देखा है ना सुना है. आज घटनास्थल से लेकर जिला चिकित्सालय और फिर शमशान घाट तक जो नजारा मैंने देखा मेरी रूह कांप गई. कई मासूम तो अपने माता-पिता के इकलौती संतान थे. हमारे पास उन पीड़ित परिवारों को संबल और सांत्वना देने के अलावा कुछ नहीं हैँ. क्योंकि उन्होंने जो खोया है उसकी पूर्ति संसार में कोई नहीं कर सकता.
हे परमात्मा तेरे चरणों में बस यही प्रार्थना है कि ऐसा दिन दोबारा कभी मत दिखाना. सभी दिवंगत बाल शिव स्वरूप आत्माओं के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम प्रभु उनकी आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे तथा परिवार को यह गहन दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. ओम शांति.