Sagar Bandh awakens those responsible, meeting will be held today regarding strike, big decision can be taken on passenger bus strike
तालाब किनारे स्थित डॉ. हरीसिंह गौर बस स्टैंड से ही बसों के संचालन की मांग को लेकर मंगलवार को हुआ सागर बंद ऐतिहासिक रहा। सागर जिला बस एसोसिएशन द्वारा बुलाए गए बंद का सागर के व्यापारियों ने स्वैच्छिक समर्थन करते हुए अपने प्रतिष्ठान बंद रखे।
आम तौर पर बंद के दौरान यह होता था कि जो दुकानें खुली रहतीं थीं, उन्हें जबरन बंद कराया जाता था या विवाद की स्थिति बनती थी। दोपहर 1-2 बजे के बाद दुकानें खुल भी जाती थीं। लेकिन इस बार के बंद में अलग ही नजारा देखने का मिला। मंगलवार को पुराने बस स्टैंड के संचालन मं बुलाए गए बंद मं व्यापारियों ने स्वैच्छा से अपनी दुकानें पूरे दिन बंद रखीं। देर शाम को भी बाजार पूरी तरह बंद ही रहा। कहीं भी निवेदन करने या विवाद की स्थिति नहीं बनी।
शहर का मुख्य बाजार ही नहीं गलियों में भी अधिकांश दुकानें बंद रहीं। कई इलाकों में तो कोई बंद की अपील करने ही नहीं पहुंचा फिर भी दुकानें नहीं खोली गईं। फल-सब्जी मंडी से लेकर अनाज मंडी भी समर्थन में बंद रहीं। किराना, कपड़ा, जूता से लेकर, तमाम तरह का बाजार, शोरूम आदि बंद रहे। ऑटो भी नहीं चले।
मकरोनिया में भी बंद का असर दिखा। बंद को मिले समर्थन के बाद यह साफ हो गया है कि शहर की जनता का स्पष्ट मत और संदेश है कि पुराने बस स्टैंड से ही बसों का संचालन किया जाए। बसों के संचालन को लेकर गेंद अब पूरी तरह से जिला प्रशासन के पाले में आ गई है। व्यापक बंद के बाद प्रशासन ने बुधवार को बस संचालकों के साथ बैठक बुलाई है। इसमें हल निकलने की उम्मीद है।
सागर बस स्टैंड विवाद में उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से
इनकार किया है। नया बस स्टैंड शुरू होने पर संचालक कोर्ट
से स्टे ले आए थे। स्टे में दी तारीख से 10 दिन पहले सुनवाई
करते हुए 12 जुलाई को इस मामले में आदेश हुआ था। उच्च
न्यायालय ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था। इसके बाद
प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश को अपने पक्ष में बताते हुए
दोबारा नए बस स्टैंड को शुरू करा दिया। जबकि हाईकोर्ट ने
आदेश में ऐसा कुछ नहीं कहा है। यानी प्रशासन, जनप्रतिनिधि
और बस संचालक मिलकर आपसी सहमति से बस स्टैंड के
संबंध में कोई भी निर्णय ले सकते हैं ताकि आम लोगों की
मुश्किलें खत्म हो जाएं। आम लोगों में जनप्रतिनिधियों के
विरुद्ध नाराजगी बढ़ती जा रही है। विशेषकर व्यापारी वर्ग