मूर्तिकार 72 वर्षीय बुजुर्ग 37 सालों से इसी तरह की प्रतिमाएं बनाते आ रहे हैं गणेश प्रतिमा
सागर जिले के बीना में इन दिनों गली, मोहल्ले और चौराहों पर आपको एक से एक आकर्षक गणेश प्रतिमाएं देखने को मिल जाएगी। बीना शहर में गणेशोत्सव की धूम शुरू हो गई है। भक्त भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए आराधना कर रहे हैं लेकिन सागर जिले के बीना के साहू मंदिर में एक अनोखी प्रतिमा को विराजमान किया गया है खास बात यह है कि इस प्रतिमा को केवल मोमबत्ती से बनाया गया है। इसे बनाने वाले मूर्तिकार ने बड़े ही शिद्दत से इस मूर्ति में पिरोया है। इसके बाद 6 फीट की मूर्ति बनकर तैयार हुई और इसे गणेश चतुर्थी पर विराजमान किया गया है।
जिसकी पूजा आराधना भी शुरू हो गई है। मूर्ति स्थापित होने के बाद अब यह आकर्षण का केंद्र है। मूर्तिकार 72 वर्षीय अशोक साहू ने बताया कि अन्य तरह की प्रतिमाओं से प्रदूषण बढ़ने का खतरा रहता है इसलिए इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा तैयार की है। इस तरह की प्रतिमा का जब विसर्जन किया जाता है तो वह पूरी तरह से नदी तालाब में समा जाती है और इसमें जो तत्व रहते हैं जो जलीय जंतुओं का आहार बन जाते हैं। पिछले 37 सालों से इसी तरह की प्रतिमाएं बनाते आ रहे हैं।
हर बार किसी अलग चीज से प्रतिमा बनाते हैं इसके पहले वह मूंगफली, दाल, नमकीन, सूखे बेर सहित अन्य चीजों से गणेश प्रतिमा बना चुके हैं।मूर्तिकार अशोक साहू ने बताया कि दिल्ली से वह 30 किलो मोमबत्ती लेकर आए हुए थे और उन्होंने फेविकॉल से चिपकाकर दो महीने में यह प्रतिमा बनाई है। गणेश चतुर्थी को जन्मे अशोक साहू 1984 से यह काम करते आ रहे हैं। पहली बार उन्होंने दालों से मूर्ति बनाई थी। उनका मानना है कि इस तरह की प्रतिमाएं विसर्जन के बाद प्रकृति में समा जाती हैं। इस तरह यह ईको फ्रेंडली रहती हैं।
हर साल एक ही प्रतिमा बनाते हैं और इसे साहू मंदिर परिसर में विराजमान करते हैं। जिसे देखने के लिए शाम के समय बड़ी संख्या में लोग आते हैं। शहर में गणेशोत्सव की धूम 10 दिनों तक बनी रहेगी। शहर के विभिन्न चौराहों व मंदिरों में विद्युत साज सज्जा के साथ गणेश पांडाल तैयार हैं। 60 से ज्यादा स्थानों पर भगवान गणेश की प्रतिमाएं आकर्षण का केंद्र है। रेलवे स्टेशन के आस-पास, नई बस्ती क्षेत्र, छोटी बजरिया, बड़ी बजरिया, कच्चा रोड, कटरा मंदिर सहित मुख्य चौराहों पर झांकिया सजाई गई।