इस शादी ने चौंकाया ! पिता ने तोड़ा रिवाज,दुल्हन घोड़ी चढ़ी,फिर निकली बारात | sagar tv news |
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के सुरगांव जोशी गांव में एक अनोखी शादी देखने को मिली, जहां दुल्हन को दूल्हे की तरह घोड़ी पर बैठाकर विदा किया गया। इस अनोखी परंपरा को निभाकर पिता ने समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया कि बेटा-बेटी में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। सुरगांव जोशी गांव के किसान नानाजी चौधरी ने अपनी बेटी भाग्यश्री चौधरी को बेटे की तरह पाला।
जब उसकी शादी का समय आया, तो उन्होंने अपनी बेटी को घोड़ी पर बैठाकर कार्यक्रम स्थल तक विदा किया। पिता का कहना था कि हर पिता का सपना होता है कि वह अपनी बेटी को शान से विदा करे। उन्होंने कहा, "मेरी बेटी भाग्यश्री मेरी बेटा भी है और बेटी भी।
मैंने उसका सपना पूरा किया और अपनी बेटी को बेटे की तरह सम्मान दिया। यह आयोजन ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बदलती सोच का प्रतीक है। अब समाज में बेटियों को भी वह सम्मान मिल रहा है, जो बेटों को मिलता है। अक्सर देखा गया है कि बेटे की शादी में खूब धूमधाम होती है, लेकिन बेटी की शादी में भेदभाव किया जाता है। नानाजी चौधरी और उनके परिवार ने इस परंपरा को तोड़ते हुए समाज में समानता का संदेश दिया।
दुल्हन भाग्यश्री चौधरी ने अपने पिता और परिवार का आभार व्यक्त करते हुए कहा, "मेरा सपना था कि मैं भी लड़कों की तरह घोड़ी पर बैठूं। मेरे पिता ने मेरा यह सपना पूरा किया। जब मैं घोड़ी पर बैठी तो मुझे बहुत गर्व महसूस हुआ। यह मेरे जीवन का सबसे खास पल था। दुल्हन के भाई रविंद्र चौधरी ने बताया, हमने भाग्यश्री को बेटे की तरह पाला है। उसकी हर इच्छा पूरी की गई। जब उसने कहा कि वह भी घोड़ी पर बैठना चाहती है, तो हमने उसका यह सपना पूरा करने का फैसला किया। भाग्यश्री को घोड़ी पर बैठे देखना गांव के लिए एक नया अनुभव था।
कार्यक्रम में मौजूद ग्रामीणों ने इसे सराहा और इस पहल की तारीफ की। ग्रामीणों का कहना था कि यह शादी समाज में बेटियों की स्थिति को मजबूत करने का एक अनोखा प्रयास है। भाग्यश्री चौधरी की शादी खंडवा के अजय जिराती के साथ हुई, जो एक निजी बैंक में कार्यरत हैं। इस शादी ने पूरे इलाके में चर्चा बटोरी। दुल्हन को घोड़ी पर बैठाने और नाचते-गाते परिवार के समारोह में ग्रामीण भी शामिल हुए और इस अनोखी शादी का आनंद लिया।
इस शादी ने साबित कर दिया कि बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं है। पिता ने न केवल अपनी बेटी को बराबरी का दर्जा दिया, बल्कि समाज के सामने एक नई मिसाल पेश की। सुरगांव जोशी गांव की यह शादी एक प्रेरणा है कि बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। यह पहल समाज को बेटियों को समानता और सम्मान देने की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करती है। नानाजी चौधरी और उनके परिवार ने यह दिखा दिया कि बदलते समय में बेटियों को बेटों के समान अवसर और अधिकार देने से समाज में सकारात्मक बदलाव संभव है।