Sagar- दो साल से अस्पातल में भर्ती महिला का निधन, डॉक्टरों ने कराई तेरहवीं
नर सेवा ही नारायण सेवा यह वाक्य तो सभी ने सुना होगा, लेकिन इसे सागर के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने सच कर दिखाया. उन्होंने इंसानियत की ऐसी मिसाल पेश की, जिसकी हर तरफ सराहना हो रही है. जब एक 80 साल की बुजुर्ग मां को उसके बेटे अस्पताल में छोड़ गए, तब डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने दो साल तक उनकी सेवा की.
लकवा से ग्रसित इस बुजुर्ग महिला का जब निधन हो गया और परिवार वालों ने उन्हें अपनाने से इंकार कर दिया, तो अस्पताल के स्टाफ ने उनके दिव्यांग बेटे को बुलवाकर अंतिम संस्कार करवाया. 13 दिन बाद आत्मा की शांति के लिए कन्या भोज आयोजित किया गया. अस्पताल के सभी स्टाफ ने भी 13वीं का भोजन ग्रहण किया और मरीजों व आसपास के लोगों को भोजन कराया.भोज में आए लोगों ने उनकी तस्वीर पर फूल अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.
जानकारी के अनुसार, 80 वर्षीय ज्ञानबाई दो साल पहले लकवा से ग्रसित हो गई थीं. उनका बड़ा बेटा उन्हें अस्पताल लेकर आया था, लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें अकेला छोड़कर भाग गया. ज्ञानबाई का दूसरा बेटा दिव्यांग था. ऐसे में डॉक्टरों ने उनकी जिम्मेदारी उठा ली. नर्सिंग स्टाफ ने भी पूरा साथ दिया. समाजसेवियों की मदद से उनके खाने-पीने की व्यवस्था की गई. गर्मी में कूलर और पंखे की व्यवस्था की गई, जबकि सर्दियों में हीटर लगाया गया.
12 फरवरी को ज्ञानबाई की तबीयत अचानक बिगड़ गई और उनका निधन हो गया. वह बीना के पास बेलई की रहने वाली थीं. परिवार में दो बेटे थे, लेकिन बड़ा बेटा दमोह चला गया और कई बार बुलाने के बावजूद नहीं लौटा. ऐसे में अस्पताल का स्टाफ ही उनका परिवार बन गया. दिन-रात उनकी देखभाल की गई. दवाओं के साथ-साथ खाने-पीने की व्यवस्था की गई. नहलाने और तैयार करने तक की जिम्मेदारी नर्सिंग स्टाफ ने उठाई थी