Sagar - अनोखी होली : जहां रंग और गुलाल से नहीं, बल्कि मिट्टी के कीचड़ से होती है होली की मस्ती!
बुंदेलखंड में होली और रंगपंचमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन यहां की परंपरा और मस्ती कुछ अलग ही होती है। जबकि अन्य स्थानों पर लोग रंगों और गुलाल से होली खेलते हैं, बुंदेलखंड में एक विशेष प्रकार से होली मनाई जाती है, जहां मिट्टी के कीचड़ से खेलने का भी अनोखा आनंद होता है।
सागर जिले में रंगपंचमी के दिन युवाओं की टोली खेतों और फार्म हाउस पर इकट्ठा होती है, जहां वे कीचड़ से सने होते हुए एक-दूसरे के साथ मस्ती करते हैं। यह दृश्य विदेशों में मनाए जाने वाले "मड फेस्टिवल" जैसा ही होता है, लेकिन यहां इसका देसी अंदाज देखने को मिलता है। यहां के लोग पूरे जोश और उत्साह के साथ कीचड़ में खेलते हैं, गाते हैं और नाचते हैं। यह एक प्रकार का सामाजिक उत्सव बन जाता है, जहां सभी उम्र के लोग एक साथ मिलकर आनंद उठाते हैं।
इस दिन खेतों में काम करने वाले किसान भी इस रंगीन उत्सव का हिस्सा बनते हैं। सारा माहौल हंसी-खुशी और उल्लास से भर जाता है, और इस दिन हर कोई अपने गिले-शिकवे भूलकर एक दूसरे से गले मिलकर होली के रंगों में रंग जाता है। यहां की परंपराओं में जो खास बात है, वह यह है कि लोग केवल रंगों से नहीं, बल्कि मिट्टी और कीचड़ से भी एक-दूसरे के साथ मस्ती करते हैं, जिससे होली का आनंद और भी बढ़ जाता है।
बुंदेलखंड की होली और रंगपंचमी की यह अनोखी परंपरा न केवल क्षेत्रीय विशेषताओं का हिस्सा है, बल्कि यह वहां के लोगों के उत्साह, सामूहिकता और परंपरा के प्रति उनकी निष्ठा को भी दर्शाती है।