Sagar-हजार साल पुरानी बावड़ी, 52 कोठरियों का रहस्य, जो अंदर गया..फिर कभी लौटा नहीं ! | sagar tv news
सागर ऐतिहासिक धरोहरों से भरा पड़ा है. हर धरोहर की अपनी एक कहानी है. लेकिन, कुछ धरोहर रहस्यमयी भी हैं, जिनका सच आजतक उजागर नहीं हो सका. इस धरोहर की कहानी लोगों को रोमांचित कर देती है. इस धरोहर का नाम पगारा की बावड़ी है. जो सागर से करीब 10 किलोमीटर दूर है. इसे बाबा की बावड़ी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस बावड़ी में साधु-संत तपस्या करते थे. बावड़ी के अंदर 52 कोठरियां हैं, जिसे भूलभुलैया भी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस बावड़ी को नागा संन्यासियों ने 1000 साल पहले बनवाया था.
स्थानीय लोगों का मानना है कि पहले जो भी इन कोठरियों का पता लगाने के लिए अंदर जाता था, वह वापस नहीं लौट पाता था. इसके चलते दरवाजों को चुनवा दिया गया था. करीब 25 साल पहले जीर्णोद्धार में वे निशान भी दब गए. लोग बताते है कि पगारा में नागा साधुओं का मठ था, जिसके निशान अब भी हैं. इन साधुओं के साथ हाथी और अन्य जानवर रहते थे. खासतौर पर हाथियों को पानी पीने में कोई समस्या न हो, इसके लिए इस हाथी बावड़ी का निर्माण कराया गया था. इस बावड़ी में हाथी दरवाजा है, जिससे केवल हाथी ही सीढ़ियों से उतरकर पानी पीने जाते थे. कुछ लोग बावड़ी के नादर से सुरंग होने का दावा भी करते है
कुछ लोगो का मानना है की यह पहले के जमाने का सीमिंग पूल था इसकी बनावट और आकर देखकर ऐसे ही लगता है चारो तरफ से उतरने को सीढिया लगी है, करीब 30 फीट गहरी बावड़ी के अंदर 18 फीट गहरा कुंआ है, जो आज भी पूरी तरह से लबालब भरा है बताया जाता है इसमें केवल बारिश का जल ही संग्रहित होता है कोई स्रोत्र अब तो दिखाई नहीं देता है, कुछ लोग 52 कोठियों के रहस्य को भी पूरी तरह से नकारते है,