लड़की होना बना अभिशाप, ससुराल वालों की बेरुखी, इलाज नहीं कराया... मासूम की मौत
जिले के ग्राम खांदी से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां डेढ़ साल की मासूम बच्ची दिव्यांशी की जान चली गई, और परिजनों पर आरोप है कि उन्होंने बच्ची को केवल इसलिए इलाज नहीं कराया क्योंकि वह लड़की थी। मृत बच्ची की मां खुशबू धाकड़ का आरोप है कि घर में जब भी वह इलाज कराने की बात करती, तो उसकी सास कहती थी– “लड़की है, मर जाने दो।” इतना ही नहीं, पति और देवर उसे इलाज कराने की जिद करने पर मारते-पीटते भी थे।
दरअसल एमपी शिवपुरी जिले में दिव्यांशी को 1 अगस्त को दस्तक अभियान के दौरान चिन्हित कर अस्पताल में भर्ती कराने की समझाइश दी गई थी। लेकिन परिजन बच्ची को लेकर अस्पताल से भाग गए। बच्ची का वजन मात्र 3.7 किलो और हिमोग्लोबिन 7.4 ग्राम था। हालत लगातार बिगड़ती गई और आखिरकार शनिवार को जब उसे जिला अस्पताल लाया गया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बच्ची की मौत हो गई।
मां खुशबू बिहार की रहने वाली है और दिव्यांशी उसकी इकलौती संतान थी। उसने रोते हुए आरोप लगाया कि बेटी को सिर्फ लड़की होने की वजह से इलाज से वंचित रखा गया। इस मामले पर जब जिला अस्पताल अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से परहेज किया। शिवपुरी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने इस घटना पर कहा कि यह कुपोषण का मामला नहीं है। परिवार आर्थिक रूप से सक्षम है, उनके पास ट्रैक्टर और पशुधन भी है। बच्ची लंबे समय से बीमार थी और लगातार उसका वजन घट रहा था। यह घटना समाज में गहरे सवाल खड़े करती है कि क्या आज भी बेटी होना किसी परिवार में अभिशाप माना जाता है?