Sagar- कॉलेज की लापरवाही या छात्रा की मजबूरी ? पेपर डेट छुपी, साल बरबाद !
सागर जिले के राहतगढ़ से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ जानकारी के अभाव में एक छात्रा का पूरा साल बर्बादी की कगार पर पहुँच गया है। छात्रा अब न्याय के लिए गुहार लगा रही है और कॉलेज प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगा रही है। राहतगढ़ के झिला गांव की रहने वाली नंदिनी शर्मा बीएससी फोर्थ ईयर की छात्रा है। नियमित परीक्षा में मैथ्स विषय में सप्लीमेंट्री आने के बाद उसने समय पर ऑनलाइन फॉर्म भर दिया, फीस जमा की और एडमिट कार्ड भी निकलवा लिया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है — परीक्षा की सही तारीख उसे पता ही नहीं चली। नंदिनी के अनुसार, कॉलेज ने न तो नोटिस बोर्ड पर जानकारी समय से लगाई और न ही किसी अन्य माध्यम से सूचना दी।
3 अक्टूबर को सप्लीमेंट्री पेपर होना था, लेकिन छात्रा को इसकी जानकारी 10 अक्टूबर को व्हाट्सऐप संदेश के जरिए दी गई। यानी पेपर होने के सात दिन बाद! लिहाजा वह परीक्षा देने से वंचित रह गई। नंदिनी का कहना है — “मैंने पेपर की सूचना कॉलेज से कई बार जाननी चाही, लेकिन कहीं कोई नोटिस नहीं था। जब तक व्हाट्सऐप पर बताया गया, तब तक पेपर निकल चुका था। मेरी गलती नहीं, बल्कि सूचना देने में लापरवाही हुई है।”
इस पूरे मामले पर शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य चंदन सिंह सागर का कहना है कि निर्धारित समय पर नोटिस बोर्ड पर सूचना चस्पा की गई थी। साथ ही वे यह भी कह रहे हैं कि छात्रा का विश्वविद्यालय से अटेस्टेशन अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। अब सवाल यह है कि अगर जानकारी समय पर दी ही नहीं गई, तो क्या एक छात्रा का पूरा साल बर्बाद कर दिया जाएगा? अगर कॉलेज की लापरवाही साबित होती है, तो जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या कार्रवाई होगी या छात्रा को ही दोषी ठहरा दिया जाएगा? यह सिर्फ एक छात्रा का मामला नहीं, बल्कि सिस्टम की संवेदनशीलता और जवाबदेही पर सवाल है। अब देखना यह है कि क्या नंदिनी को न्याय मिलेगा या उसकी मेहनत एक तारीख की चूक में दब जाएगी।