युवा किसान ने सागर की धरती पर लहलहा दी ठंडे प्रदेशों में उगने वाली स्ट्रॉबेरी की फसल || STVN INDIA |
एमपी के सागर जिले का एक नौजवान इंदौर में कोचिंग संचालित करता था। जिसकी अलग अलग जगह 6 ब्रांच है। लेकिन मार्च 2020 में कोरोना काल के समय उसकी घर वापसी हुई। तो कोचिंग बंद होने के बाद हताश निराश होने के इतर उसने कुछ नया करने की सोची। और बुंदेलखंड में नवाचार करते हुए स्ट्राबेरी की खेती की शुरुवात की। उन्होंने पहाड़ो पर उगने वाली फसल को इस अंचल में सफलता से उगाकर नया आयाम गढ़ दिया है। ये काम सागर जिले के केसली के अनिरुद्ध सिंह ने करके दिखाया है। अनिरुद्ध बताते है उन्होंने तय किया की वह अपने खेतों में उस फसल का उत्पादन करेंगे, जिसकी उपज के बाद उन्हें मंडी तक न जाने पड़ा, बल्कि व्यापारी ही उनके यहां पहुंचें। हिमाचल प्रदेश के अपने कुछ साथियों व उद्यानिकी विभाग के अधिकारी प्रदीप परिहार की सलाह पर अक्टूबर में उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। यह खेती पहाड़ी व ठंडक वाले इलाकों में होती है, लेकिन अनिरुद्ध सिंह की मंशा पर उद्यानिकी विभाग ने भी इस खेती को सागर में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में करने का विचार किया। उद्यानिकी विभाग ने ड्रिप व मल्चिंग पद्धति से खेती करने की सलाह दी, नवंबर के शुरुआत में इसकी बोवनी की गई। इसमें करीब डेढ़ लाख रुपये का खर्च आया। 28 दिसंबर से स्ट्राबेरी की तुड़ाई शुरू हुई है। मार्च तक पांच बार तुड़ाई की जा सकेगी। डेढ़ एकड़ जमीन में लगाई स्ट्रॉबेरी से लागत व अन्य खर्च निकालकर कुल पांच लाख रुपये के मुनाफे का अनुमान है।