प्राइवेट अस्पतालों में मची लूटमार के चलते पत्नी के इलाज के लिए मकान तक बेच दिया हाय बेबसी || STVN
कोरोना की मार ने कई परिवारों को बर्बादी की कगार पर ला दिया है। जहां एक तरफ बीमारी ने लोगो पर कहर ढाया तो निजी अस्पतालों ने इलाज के नाम पर लूट मचा दी है। इसकी बानगी मध्य प्रदेश के बैतूल में देखने को मिली है जहां एक शख्स को अपनी बीवी का इलाज और अस्पताल की फीस चुकाने मकान तक बेचना पड़ गया। लेकिन फिर भी बीवी का इलाज पूरा नही हो सका।हारकर उसे पत्नी का इलाज कराने एक ऐसे अस्पताल की मदद लेनी पड़ी जो कोरोना मरीजो का मुफ्त इलाज कर रहा है।
55 साल की सुमित्रा चिकाने कोरोना की चपेट में आई तो उसकी जान पर ही बन आयी। पति विनोद ने अपनी पत्नी को घोड़ाडोंगरी के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया था लेकिन वहां हालत नहीं सुधर रही थी उसकी जान बचाने के लिए बैतूल के निजी लश्करे हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया। 26 अप्रैल को भर्ती कराई गई सुमित्रा का अस्पताल ने इलाज तो किया लेकिन 13 दिन तक उसकी हालत सुधरने की जगह बिगड़ते ही रही। पेशे से मजदूर विनोद के लिए पत्नी की बिगड़ती हालत सदमा दे रही थी तो अस्पताल के बिल ने उसे बेहद मायूस कर दिया। निजी अस्पताल ने विनोद को 13 दिन का बिल 3 लाख रुपये थमा दिया। परेशान विनोद के सामने ऐसे में अपना घर बेचने के अलावा कोई चारा नही था। उसने अपने तीन कमरों के मकान को ढाई लाख में बेचा और रिश्तेदारों से 50 हजार उधर लेकर अस्पताल को तीन लाख की रकम चुकाकर रविवार को बीमार पत्नी की अस्पताल से छुट्टी कर वा ली। अब उसके सामने परेशानी थी कि कोविड में बीमार पत्नी को वह आखिर कहां ले जाये ऐसे में समाजसेवी सोनू पाल और उनके डॉक्टर भतीजे के अस्पताल ओम आयुर्वेदिक अस्पताल ने विनोद को सहारा दिया। ओम आयुर्वेदिक ने सुमित्रा को न केवल भर्ती किया बल्कि उसका मुफ्त इलाज भी शुरू कर दिया। कल तक जो सुमित्रा निजी अस्पताल में सांसे नही ले पा रही थी आज वह बेहतर महसूस कर रही है।
जाहिर है कोरोना काल मे निजी अस्पतालों में इलाज कराना गरीबो के बस की बात नही रह गयी है। अस्पतालों की लूट जहां मरीजो को मौत के मुंह मे धकेल रही है।तो वही दूसरी तरफ ऐसे अस्पताल और डॉक्टर भी है जो गरीबो का सहारा बन गए है।