स्वास्थ्य विभाग का गज़ब का निकम्मा पन कबाड़ में तब्दील हो गयी एम्बुलेंस
एमपी के बैतूल में एम्बुलेंस खड़े खड़े ही कबाड़ में तब्दील हो गयी लेकिन किसी ने दिया नहीं दिया जिससे स्वास्थ्य विभाग का निकम्मापन देखा जा सकता है। विधायक निधि से मरीजों की सुविधा के लिए 5 एम्बुलेंस दी गयी थी के उनका रजिस्ट्रेशन न होने के कारण वो चली नहीं और कबाड़ में तब्दील हो गयी। अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तत्कालीन विधायक पर दोषारोपण कर रहे हैं कि उन्होंने कागज नहीं दिए थे, जबकि एंबुलेंस स्वास्थ्य विभाग ने ही खरीदी थी।
दरअसल बैतूल में 2016 में विधायकों द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दी गई एंबुलेंस बिना पंजीयन के ही सड़कों पर दौड़ती रहीं और जब दुर्घटनाग्रस्त हुईं तो उन्हें कबाड़ में खड़ा करा दिया गया। आमला विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन विधायक चैतराम मानेकर ने साल 2016 में मरीजों की सुविधा के लिए विधायक निधि से एक एंबुलेंस सामुदायिक अस्पताल आमला को दी थी। इसके बाद से लगातार इस वाहन का परिवहन विभाग में पंजीयन कराए बिना ही धड़ल्ले से बोरदेही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए किया जा रहा था। जब एंबुलेंस दुर्घटनाग्रस्त हुई तो उसके बाद से उसे खड़ा करा दिया गया।
जानकारी के मुताबिक साल 2016 में तत्कालीन विधायक चैतराम मानेकर ने विधायक निधि से बोरदेही अस्पताल को मारूति ओमनी एंबुलेंस के लिए 3 लाख 61 हजार 355 रूपए की राशि दी थी और इसकी प्रशासकीय स्वीकृति तत्कालीन कलेक्टर शशांक मिश्र ने दी थी। जो सीएमएचओ बैतूल के नाम से खरीदी गई थी।
किसी ने उसका पंजीयन कराना जरूर नहीं समझा नतीजा बेधड़क एम्बुलेंस सड़क पर दौड़ती रही। जब दुर्घटना ग्रस्त तो कबाड़ हो गयी।
वहीं मुलताई के तत्कालीन विधायक चंद्रशेखर देशमुख ने सामुदायिक अस्पताल को एंबुलेंस खरीदने राशि दी थी। सीएमएचओ के नाम से एम्बुलेंस ली गयी लेकिन पंजीयन नहीं हुआ। नतीजा वही एक्सीडेंट के बाद एम्बुलेंस खड़ी कर दी गयी।