इसी दिन सावित्री यमराज से वापिस ले आई थी पति के प्राण की गई वट सावित्री की पूजा
सागर के खुरई समेत ग्रामीण क्षेत्रों में अखंड सौभाग्य, संतान प्राप्ति और पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा और परिक्रमा की। हर साल ये व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन आता है। कहा जाता है कि इस दिन सावित्री ने अपने पति के प्राण वापस लौटाने के लिए यमराज को विवश कर दिया था। इस व्रत वाले दिन वट वृक्ष का पूजन कर सावित्री-सत्यवान की कथा को याद किया जाता है। क्योंकि इसमें सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इस दिन वट वृक्ष के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है। खुरई के पशु अस्पताल परिसर में स्थित श्री सिद्धि विनायक सिद्ध पीठ के सामने लगे वट वृक्ष, किला परिसर, भूतेश्वर रेलवे फाटक के पास, क्षीरसागर मंदिर सहित शहर के कई जगहों और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सुबह से ही महिलाओं ने इसकी परिक्रमा करते हुए पूजा की।