मरता क्या नही करता। इस कहावत की बानगी आप बैतूल के आदिवासी गांव असाडी में देख सकते है। अपने हाथो से मिटटी लगा रहे ये नाबालिग बच्चे कोई मकान नहीं बना रहे है बल्कि भगवान इंद्रदेव को मिटटी में लपेट रहे है । ये बारिश ना होने से परेशान लोगो ने अपने।पुरखों का यह तरीका अपनाया है। मान्यता है की रूठे इंद्रदेव को ही मिटटी में लपेट दिया जाये और जब उन्हें साँस लेने में दिक्कत होगी तो खुद ब खुद बारिश करेंगे जिससे उनकी मिटटी धुल जायेगी ।
स्थानीय ग्रामीण बताते है की जब भी बारिश नहीं होती तो वे ऐसा ही करते है जिसके बाद बारिश हो जाती है । असाड़ी के माली सिंह उइके बताते है की पानी नहीं गिरने से फसले सूख जायेगी तो उनके परिवार का पेट कैसे भरेगा और पानी के बिना कैसे रहेंगे । इसलिए इंद्रदेव को सजा के तौर पर वे पुरखो के बताए यही टोटके को अपना रहे है। यह किया है उनकी मान्यता के अनुसार कुंआरे और नाबालिग बच्चे मिटटी लाते और भगवान को लपेट देते है । इसके बाद कुछ ही दिनों में बारिश हो जाती है ।
दरअसल बैतूल आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां के लोग कृषि पर आश्रित है और यही कारण है कि बारिश समय पर नहीं होने से लोगो को फसले सूखने का डर सताने लगता है। जब बारिश नहीं होती है तो आदिवासियों के साथ आम लोग भी इस तरह की मान्यता में साथ देते है। बैतूल के असाड़ी गांव में प्रसिद्ध बड़देव मंदिर में आदिवासियों ने भगवान को मिट्टी में लपेट दिया है। स्थानीय कमल शुक्ला का कहना है कि बड़देव नाम से प्रसिद्ध इस स्थान पर आसपास के कई जिलों के आदिवासी आते है और बारिश के लिए प्रार्थना करते है।
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