खुरई में पूज्य वैद्य ने 34 दिनों की सल्लेखना विधि के बाद ली समाधि उमड़ा जैन समाज || SAGAR TV NEWS ||
सागर जिले के खुरई के बाबूलाल जैन वैद्य ने 34 दिनों की संलेखना विधि के बाद समाधि ली जहाँ अंतिम दर्शनों को जैन समाज का जन सैलाव उमड़ा। दरअसल शहर गौरव ब्रम्हचारणी हेमलता दीदी और डाॅक्टर संतोष जैन, संजय जैन के पिता धर्मानुरागी वैद्य जी की सल्लेखना पूरी हुई। उन्होंने 11 जुलाई को पूज्य आर्यिका 105 ऋजुमति माता जी की ससंघ के सानिध्य में सल्लेखना व्रत धारण किया था। जो पूज्य आर्यिका संघ के सानिध्य में चल रहा था। शनिवार की सुबह पूज्य वैद्य जी ने अंतिम सांस ली। पूज्य आर्यिका 105 ऋजुमति माता जी ने उन्हें आत्म भूषण नाम दिया था। उनका समाधि डोला प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर से शुरू होकर नगर के मुख्य मार्ग होते हुए मुक्तिधाम पहुंचा। जिसमें समाज की महिला और पुरुष शामिल हुए। विधि विधान से श्री आत्मभूषण जी को अग्नि दी गई। सल्लेखना मृत्यु को निकट जानकर अपनाये जाने वाली एक जैन प्रथा है। इसमें जब व्यक्ति को लगता है कि वह मौत के करीब है तो वह खुद खाना-पीना त्याग देता है। दिगम्बर जैन शास्त्र अनुसार इसे समाधि या सल्लेखना कहा जाता है। इसे ही श्वेतांबर साधना पद्धति में संथारा कहा जाता है।