सागर-प्रसिद्ध "पुतरियोंका मेला" देखने दूर-दूर से पहुँचे लोग, मेले की ये है विशेषता जानिये
सागर जिले की रहली के काछी पिपरिया गांव में बरसों पहले शुरू हुआ पुतरियो का मेला आज भी परंपरागत रूप से लग रहा है इस मेले में सैकड़ों पुथरा पुतरिया की प्रतिमाएं चित्रकला से सुसज्जित धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान की लीलाओं की झांकियां देखने को मिलती हैं भादो महीने की पूर्णिमा पर इसका प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है इसके साथ ही इसमें जन जागरूकता वाली अलग-अलग प्रकार की झांकियां सजाई जाती हैं जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से काछी पिपरिया पहुंचते हैं इसको लेकर मेले के आयोजक पवन पांडे बताते हैं कि करीब 200 साल पहले उनके दादा के दादा स्वर्गीय दुर्गा प्रसाद पांडे ने इस के मेला की शुरुआत की थी उन्होंने लगभग 1000 मूर्तियों का निर्माण कर अपने निवास को एक संग्रहालय के रूप में विकसित किया इसमें धार्मिक कथाओं के अनुसार कृष्ण लीला की सजीव झांकियां सजाकर धर्म जागरण का कार्य प्रारंभ किया था जो बाद में पुतरियो के मेले के रूप में जाना जाने लगा पांडे परिवार की चौथी चौथी पीढ़ी भी इसे सहेजने का कार्य कर रही है, इस मेले में लगाई जाने वाली झांकियों में नशा मुक्ति खेती जैसी अलग-अलग प्रकार की झांकियां लगाई गई हैं ।