गजब का सिस्टम,दो साल बाद जिंदा हो गई मरी हुई महिला ,पति अभी भी लापता || SAGAR TV NEWS ||
सरकारी सिस्टम भी गजब है। यहां एक महिला दो साल से खुद को जिंदा साबित करने के लिए भटकती रही। मामला सुर्खियों में आने के बाद अब सरकारी कागजातों में तो वह जिंदा हो गई। लेकिन उसके साथ रह रहा पति आज भी लापता है। कोरोना से अपने एक एकलौते बेटे को खोने वाली पुष्पा पवार बीते आठ महीने से खुद को जिंदा साबित करने के लिए खूब भटकी। मामला सामने आने के बाद आनन फानन में उसे तो जिंदा बता दिया गया है।लेकिन उसका पति रमेश आज भी लापता है। सिस्टम से गायब रमेश न तो कहीं गया था और न वह लापता हुआ था।मामला दिलचस्प है। बैतूल से महज 4 किमी दूर रहने वाली पुष्पा पवार (55) ने 22 अप्रेल 2021 को अपने इकलौते बेटे राजकुमार को कोरोना में खो दिया। मजदूरी करने वाली पुष्पा ने जब बेटे की मौत के बाद सरकारी सहायता के लिए मदद की गुहार लगाई तो वह खुद हैरान रह गई। उसके संबल योजना के कार्ड में उसे मृत बता दिया गया था। जबकि, उसके पति को लापता और उसके मृत बेटे को योजना में अपात्र करार कर दिया गया। महिला के पास न तो कोई जमीन है और न कोई जायदाद। मजदूरी कर उसके परिवार का गुजारा चलता है।दरअसल, पुष्पा ने 2 अप्रैल 2018 को सम्बल योजना के लिए आवेदन किया था। जिस पर 5 मई 2018 को उसका पंजीयन कर दिया गया। ग्राम सचिव सीमा ने इस आवेदन का 6 सितम्बर 2019 को सत्यापन किया। जिसमे सत्यापन की स्तिथि में पुष्पा को अपात्र बताते हुए श्रमिक की मृत्यु हो गई, ऐसा लिख दिया गया। ऐसा ही पुष्पा के पति रमेश के मामले में भी किया गया। उसे अपात्र बताते हुए भौतिक सत्यापन में गैर मौजूद लिख दिया गया। रमेश आज भी इस सरकारी रिकार्ड में लापता है।मामला सामने आने के बाद श्रम विभाग ने महिला के बगैर अपील किए ही महिला को अपने दस्तावेजों में जिंदा दिखाते हुए पात्र भी घोषित कर दिया। उसके मृत पुत्र राजकुमार को भी पात्र की श्रेणी में शामिल कर लिया गया है। लेकिन पुष्पा के पति रमेश को अब भी सम्बल का पोर्टल लापता बता रहा है। श्रम पदाधिकारी धम्मदीप भगत ने बताया कि यह मामला जैसे ही उनके संज्ञान में आया पोर्टल में सुधार कर महिला को पात्र घोषित कर दिया गया है। इस मामले में किस स्तर पर गड़बड़ी हुई है। इसकी जांच करवाकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।