सागर में 1600 साल पुराना एक मात्र सती स्तंभ शिवलिंग के रूप में था अभिलेख || SAGAR TV NEWS ||
भारत में सती प्रथा का पहला 1600 साल पुराना लिखित अभिलेख स्तंभ जो एक शिवलिंग के रूप में था। उसे संरक्षित कर सुरक्षित करने का काम कई दशकों के बाद अब सागर जिले के बीना में स्थित एरण में भारतीय पुरातत्व विभाग की टीम ने कर दिया। इतिहास के छात्र और शोधार्थी अब इस स्तंभ पर लिखे अभिलेख को पढ़ सकेंगे। बीना क्षेत्र का एरण एक विश्व प्रसिद्ध धरोहर है। यहाँ मूल स्मारक एक शिवलिंग के रूप में था। जिसके ऊपरी आधे हिस्से में सती शिलालेख है। शिवलिंग पिछले 70-80 सालों से तीन टुकड़ों में था। उसे संरक्षण किया और ऊपरी आधे हिस्से को कुरसी से जोड़ दिया। जिससे यह एक पूरा शिवलिंग बन गया। एरण में नव पाषाण काल ताम्र पाषाण काल संस्कृति के साथ शक हुण कुषाण शुंग वंश गुप्तकालीन संस्कृति के अवशेष मिलते हैं। जन- जन में सती हयी गोपा बाई की चर्चा लोकगीतो में गुनगुनाते लोग आज भी मिल जाते हैं। पहला लिखित सती प्रथा का स्तंभ हैं है यह सवाल सामान्य ज्ञान का प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता हैं। लेकिन एरण से एक किलोमीटर दूर पहलेजपुर गांव में सोलह सौ साल पुराना यह स्तंभ उपेक्षित था। जिसे पुरातत्व विद इंजीनियर और जानकारों की टीम ने 80 साल से उपेक्षित स्तंभ को दर्शनीय और पाठनीय बना दिया। इस स्तंभ पर गोपाबाई के 510 ईस्वी सन में भानुगुप्त के सेनापति गोपराज की युद्ध में वीरगति हो जाने पर गोपा बाई के सती हो जाने का लिखित वर्णन हैं। जो इतिहास कला संस्कृति की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि सती की याद में बने इस स्तंभ-स्मारक की खोज 1838 में टीएस बार्ट नामक एक अंग्रेज ने की थी।