चौका-चूल्हा करने वाली महिलाओं ने घूंघट की ओड़कर दिखाई हिम्मत, बुजुर्ग बोल उठे पहली बार देखा नजारा
किसी शायर की ये पंक्तियां महिला दिवस पर ग्वालियर में सार्थक होती दिखीं। जब घर का चूल्हा-चौका संभालने वाली महिलाओं ने खेतों में ट्रैक्टरों की स्टीयरिंग थामकर सबको चौंका दिया। महिलाओं ने अपनी परंपरा का घूंघट भी नहीं छोड़ा और खुद को आधुनिक बनाने में कसर नहीं छोड़ी। महिलाओं ने साड़ी का पल्लू संभालकर जब खेतों में ट्रैक्टर दौड़ाए तो देखने वाले दंग रह गए। खुद महिलाएं भी अपने इस रूप को देख खुशी से उछल पड़ीं। आइए जानते हैं इस बदलाव की वजह
यह जो खेतों में ट्रैक्टर चल रहे हैं। यह महिला सशक्तिकरण का एक कदम है। यह जो महिलाएं जो घूंघट के भीतर से ही ट्रैक्टर चला रही हैं वह बेहट तहसील के रतवाई गांव की गृहणियां हैं। इससे पहले यह घर की चारदीवारों में रहकर बच्चे संभालती थीं और चूल्हे पर बेलन से रोटियां बेलती थीं। इस बार महिला दिवस इनके जीवन में बदलाव का बड़ा संदेश लेकर आया। पुलिस ने महिलाओं को उनकी हिम्मत याद दिलाई और सदियों से कमजोर बना रहीं बेड़ियां टूट गईं।
दरअसल बेहट क्षेत्र के एसडीओपी संतोष पटैल और प्रशिक्षु आईपीएस अनु बेनीवाल ने ट्रैक्टर प्रतियोगिता कराने का प्लान बनाया। जब यह अधिकारी रतवाई गांव में महिलाओं से मिलने पहुंचे तो एक भी महिला इनसे बात करने तैयार नहीं हुई। यहां की महिलाएं पुलिस को देखती ही घरों के दरवाजे बंद कर लेती हैं। बाहर दहलानों के चबूतरों पर बैठे—बैठे पुलिस लौटने ही वाली थी कि एक युवती को पुलिस का नवाचार समझ में आ गया। उसने अन्य महिलाओं को राजी कर घर से बाहर निकाला और उन्हें ट्रैक्टर प्रतियोगिता में शामिल करने राजी कर लिया।
महिलाओं के घरों में वर्षों से ट्रैक्टर हैं लेकिन रूढ़ीवादिता की वजह से वह कभी इनकी स्टेयरिंग पर हाथ रखने का सपना नहीं देख पाईं। पहली बार जब पुलिस ने नवाचार किया तो यह दिन इस गांव के इतिहास में दर्ज हो गया। खास बात यह है कि ट्रैक्टर चलाने का प्रशिक्षण भी कुछ देर पहले पुलिस ने ही दिलाया। गांव के बुजुर्ग दूर से घूंघट में बहुओं को ट्रैक्टर चलाते देख मुस्कुरा रहे थे। आज से पहले उन्होंने यह नजारा कभी नहीं देखा था।
बहू—बेटियों को कुछ अलग हटकर करते देख वह खुश भी थे। घूंघट को पिछड़ेपन की निशानी मानने वालों के मुंह पर तमाचा जड़ते हुए महिलाओं ने ट्रैक्टर चलाकर दिखाए। पुलिस के इस नवाचार से महिलाओं में भी नई शक्ति का संचार हुआ है। जो लोग बेटियों के हाथों से किताबें छीन लेते थे उन्हीं से हाथों में स्टीयरिंग थमाई। अब वे खुद अपने घर के ट्रैक्टर चला सकेंगी। गांव की 9 महिलाओं ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। पुलिस अधीक्षक राजेश चंदेल समेत अधिकारियों ने उनका सम्मान किया। ग्रामीणों ने भी पुलिस का आभार माना। एसडीओपी संतोष पटैल ने कहा कि महिलाओं के आगे बढ़ने से समाज का विकास होगा। उन्होंने सभी से अपने घरों की महिलाओं को सशक्त बनाने की अपील की। अब देखना यह है कि यह बदलाव का यह संदेश रतवाई गांव से निकलकर बाकी समाज में कब तक फैलता है।