MP में माता सबरी का जन्मोत्सव मनाकर लिया छुआछूत को दूर करने का संकल्प
रीवा जिले के सेमरिया तहसील क्षेत्र पावन नगरी बसामन मामा में स्थापित माता शबरी की एकमात्र मंदिर में आज माता शबरी का जन्मोत्सव मनाया गया। साथ ही समाज में फैली छुआछूत की बीमारी को दूर करने का संकल्प लेते हुए माता शबरी को याद किया गया। दरअसल त्रेतायुग में भगवान राम ने माता शबरी के जूठे बेर खाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया था जिसके बाद से माता शबरी को पूजा जाने लगा। त्रेता युग में जब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया तो उनकी खोज में निकले भगवान राम को सुग्रीव से मिलने के लिए ऋषि मुख पर्वत पर जाना था जिसके लिए भगवान राम को ऋषि मुख पर्वत तक जाने का राह दिखाने वाली माता शबरी ने भगवान राम को भूखा देखकर अपने जूठे बेर खिलाए थे। जिसे खाकर भगवान राम ने सामाजिक समरसता का संदेश देते हुए समाज से छुआछूत को दूर करने का प्रयास किया था। तभी से उन्हें पूजा जाता है। जिससे समाज में फैले छुआछूत को दूर किया जा सके। आज के दिन को माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जिससे रीवा के सेमरिया तहसील में स्थित माता शबरी के एकमात्र मंदिर में जन्मोत्सव कार्यक्रम आयोजित हुआ। जहाँ विशाल भंडारे में एक पंगत में बैठकर लोगों ने सामाजिक समरसता का भाव दिखाते हुए प्रसाद को ग्रहण किया। जानकारी के मुताबिक भारत में कुछ चुनिंदा स्थानों में ही माता शबरी का मंदिर है। जहां उनकी पूजा होती है।