डॉक्टर से तन की और गुरू से मन की बात नहीं छुपानी चाहिये || SAGAR TV NEWS ||
टीकमगढ़ जिले के मबई गांव मेें 10 से 18 मार्च तक चल रहे श्री सिद्ध चक्र मंण्डल विधान के दौरान परम पूज्य शुरल विसोभ्य सागर जी ने बताया की बारिश के पानी से पत्थर घिस जाते हैं। तो श्री जिनेद्र वाणी से हदय पवित्र क्यों नहीं होगे। यह तन रोगों का घर है एक अंगुल में 96 रोग होते है। पर जो रोग के परमान तीव्र होते हैं वे हमारे लिये दिखाई देते हैं। पर श्री जिनेन्द्र वाणी परम औषधी है। जिनसे महा रोग जन्म-मृत्यु जैसे समाप्त होते हैं। तो बाकी छोटे रोग झट से समाप्त कैसे नहीं होंगे। परम पूज्य गवाचर्य विरागसागर जी शिष्य शुजन विसोम्य सागर जी ने बताया की डाक्टर से तन की और गुरू से मन की बात नहीं छुपानी चाहिये। क्योंकि तन की बीमारी छुपाने पर डाक्टर सही दवा नही कर पायेंगे और गुरू से मन की बात छिपाने से गुरू आपकी आत्मा शुध्द नहीं कर पायेगा। बीमारी दवा और दुआ से भी ठीक की जाती है। दान और दया कर्म गलत किये उनका प्रायश्चित है। जब दवा हार जये तो प्रभु से हाथ जोड़ लें तो तकलीफ में प्रभु की दवा भी काम करती है।