कंकाल बनने तक पेड़ों से लटकाया जाता था आजादी के दीवानो को
देश की आजादी के संग्राम में लोगों को कैसी कैसी यातनाएं सहनी पड़ी है। इसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। देश की आजादी में सागर जिले के लोगों को कई प्रताड़ना सहनी पड़ी। वंदे मातरम बोलने वालों कई देश भक्तों के लिए पेड़ों पर फांसी दे दी जाती और देशभक्तों की लाशों को उन पेड़ों पर तब तक लटकाया जाता था। जब तक कि शव कंकाल ना बन जाए। ऐसा ही एक पेड़ सागर शहर के तीनबत्ती और कटरा के बीच स्थित फन्नूसा कुंआ के पास लगा हुआ है। इसको लेकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अध्यक्ष शिवशंकर केसरी ने बताया 1857 में जब पहला स्वतंत्रता आंदोलन हुआ जिसे अंग्रेज विद्रोह कहते थे। विद्रोही पकड़े जाते थे उन्हें फ़ुनुस्सा के कुआं के दाएं, बाएं लगे हुए। पेड़ों से फाँसी पर लटका दिया जाता था ऐसे ही 20 -25 लोगों को वहां फांसी पर लटकाया गया था। वह कंकाल बनने तक लटके रहे थे। बाद में इन पेड़ो को नगर निगम ने बहुत से पेड़ो को काट कर अलग कर दिया था। लेकिन पेड़ को ना हटाने के लिए विरोध हुआ और अब वह पेड़ आज वहीं पर लगा हुआ है।